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रामदास गांधीको लिखे पत्रका अंश

करना । जो करो, सो मुझे लिखना और यह याद रखना कि रसोईके लिए नौकरकी जरूरत जान पड़े, तो तुम रख सकते हो ।

बापूके आशीर्वाद

[ गुजरातीसे ]

महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ४

८६. पत्र : सी० एफ० एन्ड्रयूजको

जनवरी १०, १९१९

प्रिय चार्ली,

तो तुम इन्फ्लुएन्जाके शिकार हो गये। मुझे तो यही आश्चर्य है कि लगातार घूमने-फिरनेके बावजूद तुम अपनी तन्दुरुस्ती इतनी सँभालकर कैसे रख रहे हो। मैं समझता हूँ कि ईश्वर जिसे अपना साधन बनाना चाहता है, खास तौरपर जो किसी विरोधके बिना उसे अपना पथ-प्रदर्शन करने देता है, उसकी वह रक्षा भी करता ही है । इसलिए तुम्हारे बारेमें में जरा भी चिन्ता नहीं करता। मुझे विश्वास है कि तुम्हारे कामके लिए आवश्यक बल तुम्हें मिल ही जायेगा । मेरे स्वास्थ्यमें तो अभी भी उतार चढ़ाव आते ही रहते हैं । स्वास्थ्य के लिए या वहाँ जाकर कुछ सार्वजनिक काम कर सकनेके लिए मेरा इंग्लैंड जाना जरूरी है, यह बात तुम्हारी जितनी स्पष्टतासे मेरी समझमें नहीं आ रही है। मैं धीरे-धीरे अपना मार्ग देखता जा रहा हूँ और एक एक कदम आगे रख रहा हूँ ।

[ अंग्रेजीसे ]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई

८७. रामदास गांधीको लिखे पत्रका अंश

[ बम्बई]
जनवरी १६, १९१९

मणिलाल खूब मेहनत कर रहा है, इसमें शक नहीं । तुम्हें अभी तो उसकी सहायता करने के लिए वहाँ रहना ही चाहिए, इस बारेमें मेरे मनमें कोई सन्देह नहीं है। धीरे-धीरे मणिलाल 'इंडियन ओपिनियन' की उन्नति कर सकेगा । तुम भी अपनी शक्तिपर भरोसा रखकर स्वतन्त्र लेख लिखना चाहो तो लिख सकते हो। इसमें एक ही चीजके ज्ञानकी जरूरत है। वह है तथ्योंकी । तुम्हें खेतीका ज्ञान हो, तो तुम उस विषयपर अच्छे लेख जरूर लिखो । बहुत से लेखक अपने विषयको नहीं जानते, फिर भी मानो