पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/११३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
८३
पत्र : सैयदहुसैनको

जो काम सौंपा जाये उसीको एकनिष्ठा से करते रहो और उसमें पूरा संतोष दो । तुम्हारी पढ़ाई मेरे ध्यानमें रहेगी ही और जब मुझे अवसर आ गया जान पड़ेगा, उस समय मैं मौका नहीं चूकूँगा। मेरे इस उत्तरसे तुम्हें संतोष न मिले, तो तुम्हें जो कुछ लिखना हो, सो लिखना । मैं तुम्हें सन्तुष्ट करके तुमसे काम लेना चाहता हूँ ।

अपने स्वास्थ्यका खूब ध्यान रखना । मुझे लगता है कि मेरी तबीयत अच्छी होती जा रही है । यहाँ डॉक्टर जो उपचार कर रहा है, उसके पूरा होनेपर मेरा विचार और कहीं जानेसे पहले आश्रम आ जानेका है । मगर इसमें तो महीना-बीस दिन लग जायेंगे। इसलिए तुम्हें जो लिखना हो, उसे लिखकर बता देना । मिलेंगे तब बात करेंगे, यह समझकर आलस्य न करना । तुम्हें पूरी आजादी के साथ लिखना चाहिए । : [गुजरातीसे ]

महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५

९३. विट्ठलभाई पटेलको लिखे पत्रका अंश

[ बम्बई ]
जनवरी २८, १९१९

...हिन्दू समाज इतना तिलमिला उठा है, यह देखते हुए भी क्या आप यह मानते हैं कि आपका विधेयक[१] समाजके लिए जरूरी है ? इस सवालपर बातचीत करनेका अवसर मिल जाये, तो अच्छा हो ।

[ गुजरातीसे ]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५

९४. पत्र : सैयद हुसैनको

[२]

जनवरी ३०, १९१९

आपके नये प्रयासकी सफलताकी कामना करते हुए मैं अपनी यह हार्दिक आशा व्यक्त करना चाहता हूँ कि आपने अपने पत्रका जो नाम चुना है, उसके अनुरूप ही आपके लेख भी होंगे। मैं यह उम्मीद भी रखता हूँ कि आप अपने लेखोंमें निर्भीक स्वतन्त्र विचारोंके साथ-साथ उसी मात्रामें आत्म-संयम और सत्यनिष्ठाका भी परिचय देंगे । अक्सर हमारे पत्रोंमें, और दूसरोंमें भी तथ्योंके स्थानपर कल्पना और गम्भीर तर्कोंके बजाय

  1. अन्तर्जातीय विवाह विधेयक; देखिए “पत्र : इंडियन सोशल रिफॉर्मरको ", २६-२-१९१९ ।
  2. यह पत्र सैयद हुसैनके २९-१-१९१९ के निम्न तारके उत्तर में था : "इंडिपेन्डेन्ट ५ फरवरी- को निकल रहा है। कृपया पहले अंकमें प्रकाशनार्थ हस्ताक्षरित संदेश भेजें।"