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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आपको मुझसे या तो आश्रमका त्याग करनेके लिए कहना चाहिए या मगनलाल- का त्याग । जबतक मुझे ऐसा नहीं लगता कि मगनलाल राग-द्वेष फैलाता है, तबतक उसे नहीं निकालूंगा । दुनियाके पास किसी मनुष्यको समझनेके लिए उसके कार्यके सिवा कोई दूसरा प्रामाणिक साधन नहीं है। दूसरा कोई प्रमाण नहीं है । वैसा ही मनुष्य होता है जैसी उसकी कृति होती है, [ मेरे ऊपर ] यही आरोप मेरे घनिष्ठ मित्र श्री किचिनने[१]लगाया था। परन्तु मगनलालने जो सुन्दर, सुव्यवस्थित कार्य किया है, वैसा किसीने नहीं किया है ।

[ गुजरातीसे ]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५

१०८. सन्देश : गोखले जयन्तीपर

फरवरी १९, १९१९

मेरे मनमें आजकी सभामें उपस्थित होनेकी उमंग थी; लेकिन अस्वस्थ होने के कारण मैं आ नहीं सकता। फिर भी मेरी आत्मा वहीं है । आजकी सभामें यदि हम जनताकी सेवामें एक कदम आगे बढ़ पायेंगे तभी हम इसको सफल कर पायेंगे। आज जो पुस्तक[२] प्रकाशित की गई है, लोगोंसे उसकी प्रतियाँ खरीदनेका और जो न खरीद सकें उनसे उसे दूसरे लोगोंसे लेकर पढ़नेका आग्रह करना है।

[ गुजरातीसे ]
प्रजाबन्धु २३-२-१९१९

१०९. पत्र : जे० एल० मैफीको[३]

साबरमती
फरवरी २०, १९१९

अभी स्वास्थ्यकी दृष्टिसे में खतरेसे बिलकुल बाहर नहीं हो पाया हूँ; मुझे अपने डॉक्टरोंके आदेशोंके अनुसार चलना है, इसलिए जरूरी है कि मैं ऐसा कोई काम न करूँ जिसमें अधिक श्रम हो । अतः मैंने सोचा था कि जबतक मैं स्वस्थ नहीं हो जाता, तबतक

  1. हर्बर्ट किचिन, एक थियोसोफिस्ट, जिन्होंने मनसुखलाल नाजरकी मृत्युके बाद इंडियन ओपिनियन- का सम्पादन किया था । वे कुछ समय के लिए गांधीजीके साथ रहे थे और उन्होंने बोअर युद्धके समय गांधीजीके साथ काम भी किया था । देखिए खण्ड ४, पृष्ठ ३५२।
  2. सम्भवत: गोखलेके भाषणोंका संग्रह | महादेवभाईनी डायरीमें २७-१-१९१७ की टीपके अन्तर्गत कहा गया है कि श्री गोखले द्वारा उपनिवेशोंकी, विशेष रूपसे दक्षिण आफ्रिकाकी, समस्याओंपर दिये गये भाषणोंके सम्बन्धमें श्री नरहरि परीखने जो पुस्तक तैयार की थी, गांधीजीने उसकी प्रस्तावना बोलकर लिखवाई थी । प्रस्तावना उपलब्ध नहीं है ।
  3. वाइसरायके निजी सचिव ।