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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सरकारको संकटमें डालनेवाला एक प्रबल आन्दोलन आजसे बहुत पहले ही प्रारम्भ कर दिया होता । मैंने उन्हें सलाह दी थी कि यदि राहत स्वीकार नहीं की जाती तो सत्याग्रहका सहारा लेना चाहिए। मैंने 'पैसिव रेजिस्टेंस' [अनाक्रामक प्रतिरोध] नहीं; 'सत्याग्रह' लिखा । मुझे पसन्द नहीं है क्योंकि इससे उस महान् सत्यका ठीक-ठीक बोध नहीं होता जिसका संस्कृतके 'सत्याग्रह' शब्दसे सहज-बोध हो जाता है। मैंने उन्हें विश्वास दिलाया कि मैं अली भाइयोंकी रिहाईके बारेमें सरकारसे पत्र-व्यवहार कर रहा हूँ। एक सत्याग्रही होने के नाते मैंने उन्हें बताया कि सार्वजनिक आन्दोलन प्रारम्भ करनेसे पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि इस प्रश्नके बारेमें सरकारका क्या कहना है, और सत्याग्रह प्रारम्भ करनेसे पहले सभी नरम उपायोंका उपयोग कर लेना चाहिए। इसके बाद निष्पक्ष आलोचकोंके सामने सरकारके दृष्टिकोणका अनौचित्य सिद्ध करना चाहिए ताकि वे पूरी तरह सन्तुष्ट हो जायें। सत्याग्रह एक बार प्रारम्भ कर देनेके बाद हम फिर पीछे कदम नहीं हटा सकते। में अली-भाइयों तथा उन सज्जनोंका आभारी हूँ जिनके साथ सम्पर्क में आना मेरे लिए सौभाग्यकी बात रही है, और जिन्होंने मेरी सलाह मानी है; लेकिन अब जो विलम्ब हो रहा है वह खतरनाक सीमा तक पहुँच चुका है। मैं सच्चे मनसे आशा करता हूँ कि सरकार अली भाइयोंको रिहा करके देशमें किसी प्रबल आन्दोलनको उत्पन्न होनेका अवसर न देगी।

मैं अत्यन्त उत्सुकताके साथ आपके उत्तरकी प्रतीक्षा करूँगा।
मैं आशा करता हूँ, आप बिल्कुल स्वस्थ होंगे और मुझे आपसे यह जानकर प्रसन्नता होगी कि जबरदस्त कार्यभारके बावजूद लॉर्ड चेम्सफोर्ड स्वस्थ हैं।

सादर,

[ अंग्रेजीसे ]

नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया : होम : पॉलिटिकल--ए : जुलाई १९१९ : संख्या १ व के० डब्ल्यू०

११०. पत्र : सी० विजयराघवाचारियरको[१]

फरवरी २३, १९१९

आपका पत्र[२]बड़ा सुन्दर है। उसे पढ़कर मेरे जीमें आता है कि अभी मद्रास दौड़ जाऊँ। बहुत समयसे वहाँ जानेका विचार तो कर ही रहा हूँ। परन्तु मेरा कमजोर स्वास्थ्य आड़े आता रहता है। अब भी वही बाधक हो रहा है। फिर भी लड़ाई जल्दी न छिड़ी या अली बन्धुओंके लिए मुझे लखनऊ न जाना पड़ा, तो अवसर मिलते ही मैं मद्रासका दौरा जरूर करूँगा। मेरा पक्का खयाल है कि यदि प्रवर समिति [ सिलैक्ट कमेटी]

  1. १. (१८५२ - १९४३) तमिलनाडके कांग्रेसी नेता । सन् १९२० की नागपुर कांग्रेसके अध्यक्ष।
  2. २.इस पत्रपर १९ फरवरीकी तारीख पड़ी है और इसमें गांधीजीसे अनुरोध किया गया है कि वे दक्षिण भारतके कुछ महत्त्वपूर्ण स्थानोंका दौरा करें।