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पत्र : सोंजा श्लेसिनको

में इन विधेयकोंमें आमूल परिवर्तन न किये गये, तो हमें उनका अत्यन्त कड़ा विरोध करना पड़ेगा । ये विधेयक बहुत भयंकर हैं, इसलिए मैं उन्हें नापसन्द करता हूँ; लेकिन उससे भी ज्यादा नापसन्द इसलिए करता हूँ कि ये विधेयक भारत सरकारकी रंगोंमें गहरे पैठे हुए रोगकी अचूक निशानी हैं। इस रोगसे सरकार मुक्त हो, तभी हम सुधारोंके भीतर कुछ-न-कुछ सच्ची स्वतन्त्रताका उपभोग कर सकते हैं। मुझे आशा है कि आपको जल्दी ही फिर पत्र लिख सकूंगा । सत्याग्रहके प्रश्नपर विचार करनेके लिए कल ही गुजरातियों- की एक सभा रखी है । 'सत्याग्रह' शब्दमें जो अर्थ निहित है, वह 'पैसिव रेजिस्टेन्स' शब्दसे बिलकुल व्यक्त नहीं होता ।

[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखत डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई
 

१११. पत्र : सोंजा श्लेसिनको '

फरवरी २३, १९१९

यह तुम्हारी उदारता है कि तुमने कमसे कम एक बार तो मुझे व्यवहार-कुशल होनेका श्रेय दिया । अपने बारेमें मेरी खुदकी राय यही है कि मैं दुनियामें सबसे अधिक व्यवहार कुशल मनुष्य हूँ; और जबतक कोई मेरा यह भ्रम दूर न कर दे, तबतक में अपने इस विश्वाससे सुख पाता रहूँगा । तुम्हारे प्रमाणपत्रसे मेरे इस सुखमें वृद्धि ही हुई है । मैं तुम्हें अपनी व्यावहारिकताका एक और दृष्टान्त दे रहा हूँ । रुपया उधार देने जैसे मामूलीसे कामके लिए बैंकके बजाय मित्रको अपना माध्यम बनाकर मैं तुम्हारी अहं- मन्यता, आत्म-गौरव, भव्य नारीत्वको या जो भी चाहो कह लो, उसे आघात पहुँचा- ऊँगा, यह मैं जानता था । मैंने तुम्हारी अव्यावहारिक सलाह मानी होती तो तुम्हारे पास रुपया पहुँचानेमें मुझे बड़ी देर लगती, क्योंकि तुम्हें मालूम होना चाहिए कि इस समय मैं हिन्दुस्तान में रहता हूँ, जहाँ हम अपना सारा काम यहाँकी जलवायु और चारों ओरके वातावरणके अनुरूप बहुत इतमीनानके साथ धीरे-धीरे करते हैं । यहाँपर बैंक अपने ग्राहकोंके सेवक नहीं, वरन् स्वामी होते हैं। हाँ, यदि ग्राहक शासक वर्गका हो तो बात अलग है। और फिर तुम्हें डेढ़ सौ पौंड भेजने में शायद पन्द्रह पौंड खर्च पड़ जाता । तुम्हें अपने कवि-स्वभावके अनुसार रुपयेकी कोई परवाह भले ही न हो, किन्तु में तो सीधा-सादा अरसिक और दुनियादार आदमी हूँ । इसलिए समझता हूँ कि १५० पौंडमें कोई मनुष्य अपनी शिक्षा पूरी कर सकता है। उसमें से मैं अगर पन्द्रह पौंड इस तरह खर्च कर डालता, तो मूल रकमका दसवाँ भाग, जिसे मैं आसानीसे बचा सकता था, व्यर्थमें फुंक गया होता। इति सिद्धम् ।

१. गांधीजीकी स्टेनो-टाइपिस्ट, दक्षिण आफ्रिकी सत्याग्रहमें गांधीजीकी साथी और सहायक ।