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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तुम्हें मिले हुए रुपयेको तुम अवश्य कर्ज समझना । मैं मानता हूँ कि मैंने रुस्तमजीसे[१]ऐसा ही कह भी दिया है । परन्तु यह मैं सौगन्ध खाकर नहीं कह सकता; क्योंकि आम तौरपर मैं लिखे हुए पत्रोंकी नकल नहीं रखता । जब तुम्हें रुपया लौटानेकी इच्छा हो, तब तुम चाहो तो चक्रवृद्धि ब्याज सहित वापस लेनेमें मुझे आपत्ति नहीं है । एक ही शर्त है कि मुझे देनेके लिए तुम किसीसे कर्ज न लेना ।

ऊपर मैंने जो कुछ लिखा है, उससे तुम्हें पता लग जायेगा कि मेरी तबीयत पहले- से अच्छी है । हाँ, अभी मैं बिस्तर नहीं छोड़ पाता । कहते हैं मेरा दिल कमजोर है और मुझे कठिन परिश्रम नहीं करना चाहिए । परन्तु मैं अपनेको स्वस्थ और प्रसन्न अनुभव करता हूँ ।

देवीबहन[२]मुझे नियमित रूपसे लिखती रहती हैं। वे कहती हैं कि तुम उन्हें बहुत ही कम पत्र लिखती हो । लोग अपनी देवियोंके साथ इस तरहका बरताव नहीं करते । या स्त्रियोंको दूसरी तरहका बरताव करनेका विशेष अधिकार है ?

हाँ, हरिलालको बहुत बड़ी क्षति पहुँची है। चंची मुझसे कहीं श्रेष्ठ थी । मैंने तुम्हें खास तौरपर नहीं लिखा, यह सोचकर कि रामदासको भेजे गये मेरे तारसे तुम सबको खबर मिल ही गई होगी। साथ ही, उस समय मैं इतना बीमार था कि किसीको लिख नहीं सकता था । हरिलालके सब बच्चे यहीं हैं और यह पत्र लिखवाते समय मेरे पास खेल रहे हैं।

भारत सरकार विधान-मंडलमें कुछ कानून पास कराना चाहती है । उनके विरुद्ध सत्याग्रहकी बातें हो रही हैं। कल आश्रममें युद्ध परिषद् होनेवाली है। तुम इतना समझ लो कि जैसी परिषदें वहाँ होती थीं और जिनमें तुम एक पात्र (या अभिनेत्री) और काफी समझदार दर्शक हुआ करती थीं, यह परिषद् उनसे कुछ बहुत कम नहीं ठहरेगी। अतएव तुम्हारे लिए इस बैठकका वर्णन करना मेरे लिए जरूरी नहीं रहता ।

तुम्हारा यह कहना कि यहाँके आश्रम में स्त्रियोंको भरती करनेकी मनाही है, मुझे आश्चर्यमें डालता है । इससे तो यह जान पड़ता है कि तुम आश्रममें कोई दिलचस्पी ही नहीं लेती। यहाँ हमारे आश्रममें तो बहुत-सी स्त्रियाँ हैं । हम इन सबको शिक्षा दे रहे हैं। इनमें तीन कन्याएँ हैं । निःसन्देह ये कन्याएँ घरकी ही हैं । परन्तु इसमें दोष हमारा नहीं है । दूसरी कन्याएँ नहीं आतीं, इसका कारण तो यह है कि हमारी शर्तोंपर लोग अपनी कन्याओंको भेजने को तैयार नहीं हैं । यहाँके थोड़े ही दिनके निवासके बाद स्त्रियों में कितना भारी परिवर्तन हो जाता है, यह देखकर तुम्हारा दिल खुश हो जायेगा । पर्दा और दूसरे अप्राकृतिक बन्धन मानो जानकी तरह टूट जाते हैं । मैं जानता हूँ कि यहाँ आनेपर तुम उनमें से बहुतोंको हृदयसे अपना लोगी। इतना ही है कि तुम्हें अपना गुजरातीका ज्ञान ताजा कर लेना पड़ेगा ।

  1. पारसी रुस्तमजी; नेटालके एक भारतीय व्यापारी जिन्होंने दक्षिण आफ्रिका में गांधीजीके सत्याग्रह आन्दोलनमें प्रमुख भाग लिया था।
  2. कुमारी एडा वेस्ट; गांधीजीके मित्र और सहयोगी ए० एच० वेस्टकी बहन।