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पत्र : देवदास गांधीको

इमाम साहब आज यहाँ हैं और उनकी पत्नी तथा पुत्री भी ।

[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई

११२. पत्र : देवदास गांधीको

[ अहमदाबाद ]
फरवरी २३, १९१९

[ चि० देवदास, ]

तुम्हारे पत्र आये हैं। बिना विचारे किसीको भरोसा देना ही नहीं चाहिए, जिससे वचन-भंगका दोषी बनना पड़े । हरिलालकी लिखावट बहुत खराब थी; उसने सुधार ली। तीन भाइयोंकी लिखावट तो अच्छी हो गई । तुम्हारी लिखावट तो दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। स्वामीजीकी ओरसे जो हिन्दी पत्र तुमने लिखा है, उसे बहुत ही मुश्किलसे भाई महादेव पढ़ सके हैं। मुझसे तो पढ़ा ही नहीं गया। खराब लिखावट होना कोई छोटा-मोटा दोष नहीं है। अच्छी लिखावट एक भूषण है। खराब लिखावटसे हम अपने मित्रों और बुजुर्गोंपर बहुत बड़ा बोझ डाल देते हैं और खराब अक्षर लिखकर हम अपने कामको भी नुकसान पहुँचाते हैं। तुम जानते हो कि गिचपिच अक्षरोंवाले पत्र तुरन्त नहीं पढ़ सकता। इसलिए मैं तुमसे अनुरोध करता हूँ कि तुम अपनी लिखावट सुधारो ।

मेरी तबीयत अच्छी रहती है। मैं दिनमें चार बार कच्चा[१] चार सेर दूध पीता हूँ । दो बकरियाँ बाँध रखी हैं। सात दिन तक तो दूधके सिवा कुछ और लिया ही नहीं । आज डॉ० आइस'[२] ने [ दूधके साथ ] हर बार सात-सात मुनक्का लेनेकी सलाह दी है । अभी तक चल-फिर नहीं सकता। ऐसा होनेपर भी बरफ साहब मानते हैं कि थोड़े दिनमें चलने- फिरने लगूंगा । इनका तीसरा नाम दूधाभाई रखनेका विचार किया है, क्योंकि वे इस समय दूधके पीछे पागल हो रहे हैं। वे यह मानते हैं कि दूध सबसे अच्छी खुराक है। इस- लिए मैंने कहा कि आपको तो जन्मभर दूध ही लेना चाहिए। फिलहाल तो ले रहे हैं। आगे देखेंगे, क्या होता है ।

मुझे आशा है कि मैं वहाँ मार्चके अन्त तक पहुँच जाऊँगा ।

सत्याग्रही योद्धाओंकी सभा सोमवारको सत्याग्रहाश्रममें होनेवाली है । हरएकके पास क्या क्या शस्त्र हैं, कितना गोला-बारूद है, इन सबपर विचार करनेके बाद अन्तिम निश्चय होगा । लड़ाईके समय रावणने सभा की थी, उसका शामलभट्टने[३]।जो

  1. उत्तर भारतके आध सेरके बराबर।
  2. डॉ० केलकर; बरफके इलाजके बड़े हिमायती होनेके कारण उन्हें इस नामसे पुकारा जाता था । ३. १८वीं शताब्दीके प्रसिद्ध गुजराती कवि।
  3. १८वीं शताब्दीके प्रसिद्ध गुजराती कवि