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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

वर्णन किया है, यदि तुमने उसे पढ़ा हो तो महादेवभाईको सोमवारका इतिहास दोहराना नहीं पड़ेगा ।

मनु' मेरे सिवा सबसे चरबी चुरा रही है, इसलिए आश्रममें सबसे बड़े खरबूजे- जैसी लगती है । गणपतिकी स्थापना करनी हो, तो कहींसे एक सूंड लाकर लगा देने से मनु सचमुच ही जँचने लगे। उसकी कान्ति बढ़ती जाती है । इसलिए वह सबका खिलौना बन गई है। रसिक' अपनी रसिकता कई बार तो लाठीका इस्तेमाल करके बताता है । कान्ति शान्त होता जा रहा है, रामीकी तबीयत सामान्य चल रही है । इन सबका काम-काज करनेमें बा का वक्त चला जाता है । मैं देखता हूँ कि यह उसे अरुचिकर भी प्रतीत होता है। इससे उसका स्वभाव कभी-कभी बहुत चिड़चिड़ा हो जाता है । और जैसे कुम्हार खीझनेपर गधेके कान ऐंठता है, वैसे ही मेरा खयाल है कि कुम्हारिन गधेके मालिकके साथ करती होगी। यह तो हुई हँसी-विनोदकी बात, अब इसके सन्तुलनके लिए कुछ गम्भीर बात कहता हूँ "मेरा दृढ़ विश्वास है कि हरएक भारतीयोंको मातृभाषा और हिन्दी-उर्दू अच्छी तरह सीख लेनी चाहिए । अलग-अलग प्रान्तोंके लाखों हिन्दुस्तानियों के पास व्यवहारके लिए सामान्य भाषा हिन्दी-उर्दू ही है, इसके बारेमें कोई सन्देह नहीं है । इस आवश्यक तैयारीके बिना हम अपने विचार व्यक्त नहीं कर सकेंगे ।"

तुमने यह जो भेजा है, मुझे इसका अनुवाद चाहिए। ध्यानमन्त्र के लिए तमिलमें यह देना : 'कर्क कशडर कर्मवै ।"इसके नीचे 'टीपे टीपे सरोवर भराय" की हिन्दी स्वामीजी देंगे और उसके नीचे अंग्रेजी कहावत 'कॉन्सटेन्ट ड्रॉपिंग वीयर्स अवे स्टोन्स' (रसरी आवत जातते सिलपर होत निसान ) देना । तमिल कहावत पोप की पुस्तकके पहले पन्नेपर दी गई है। उसका तेलगु पर्याय ढूँढ़ना और वह भी देना ।

तुम अपनी प्रवेशिका छपवानेसे पहले आलोचनाके लिए यहाँ भेजोगे, तो काका वगैरह देख जायेंगे और जब छपवाओगे, उसके प्रूफ भेजोगे तो कलाकी दृष्टिसे भी ध्यानमन्त्र आदिका रूपांकन देखा जा सकेगा । यदि तुम बहुत जल्दीकी जरूरत समझो तो न भेजना ।

सुरेन्द्रके जो विचार यहाँकी पाठशालाके बारेमें हैं, वे यहाँके बारेमें भी थे । अकसर [ किसी चीजका ] पहला दृश्य सरल मनुष्यके मनपर अपनी एक छाप डालता


१. हरिलालके पुत्री ।

२ और ३. हरिलालके लड़के ।

४. ये पंक्तियाँ अंग्रेजीमें हैं ।

५. अर्थात्, तुम जो भी सीखो, अच्छी तरहसे सीखो [ और फिर उसपर अमल करो ] ।

६. एक गुजराती कहावत; हिन्दीमें "बूँद-बूँदसे सरोवर भरता है । "

७. जी० यू० पोप (१८२० - १९०८ ); दक्षिण भारत में मिशनरी; १८८४-९६ में ऑक्सफोर्डमें तमिल और तेलगुके प्राध्यापक, तमिल भाषा सम्बन्धी कुछ पुस्तकोंके लेखक ।