पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/१३३

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पत्र : हरिलाल गांधीको १०३ है और यह स्वाभाविक है । कुमारी मॉल्टिनोने फीनिक्सको पृथ्वीपर स्वर्गकी उपमा दी है। अगर वे फीनिक्समें कुछ समय तक रही होतीं, तो मुझे विश्वास है कि [ उनकी इस मान्यतामें] कुछ-न-कुछ परिवर्तन जरूर होता । प्रथम दृष्टिमें बीनको ' फीनिक्स सर्वोत्कृष्ट लगा लेकिन थोड़े महीने रहने के बाद वे फीनिक्स जैसी किसी अन्य खराब संस्थाकी कल्पना भी नहीं कर सके । आजके लिए तो अब इतना काफी है'। यह भी शायद कहावतका काम दे सके : " रसिकलाल हरिलाल मोहनदास करमचन्द गांधी ने बकरी बाँधी बकरी दे न दो'ने गांधी लगे रोने ! " [ गुजरातीसे ] कविवर रसिक बापूके आशीर्वाद महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५ ११३. पत्र : हरिलाल गांधीको शुभोपमा योग्य सत्याग्रहियोंकी पेढ़ी [ अहमदाबाद ] फरवरी २३, १९१९ यह पत्र शुरू कर रहा था कि इतनेमें मुझे अदालत लगानी पड़ी। अभियुक्त रसिक था । मुद्दई एक निर्दोष कुत्ता था । मुद्दईने रोते हुए बताया कि किसीने उसे मारा । मैंने जाँच की तो रसिक अभियुक्त मालूम हुआ । अभियुक्तने अपना अपराध स्वीकार किया । अपने पिछले अपराध भी स्वीकार किये। मुझे भगवान् कृष्ण और शिशुपाल याद आ गये शिशुपालके सौ कसूर श्रीकृष्णचन्द्रने माफ किये थे । अतः अदालतने दया करके मुलजिम रसिकके पाँच कसूर माफ किये और चेतावनी दी कि आइन्दा कसूर करेगा तो माफ १. दक्षिण आफ्रिकामें गांधीजीकी एक यूरोपियन सहयोगी । २. ए० जे० बीन; फीनिक्स आश्रमके एक सदस्य । 1 ३. यहाँतक पत्र बोलकर लिखाया गया था, इसके बादका अंश गांधीजीने, विनोदमें हरिलालके बच्चे रसिककी ओर से लिखा है । ४. हरिलाल तथा दक्षिण आफ्रिकामें उनके साथ जेल गये हुए अपने कुछ मित्रोंको गांधीजी विनोदमें सत्याग्रहियोंकी पेढ़ी कहा करते थे । ५. महाभारतके अनुसार ९९ । Gandhi Heritage Portal