पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/१३७

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११८. तार : सी० एफ० एण्ड्रयूजको

फरवरी २५, १९१९

हमें रौलट विधेयकोंके खिलाफ सत्याग्रहपर विवश कर दिया गया है । पचास स्त्री पुरुषों द्वारा प्रतिज्ञापर हस्ताक्षर । इसे प्रकाशित करनेसे पहले वाइसरायको तार दिया । निर्णयपर ईश्वरको साक्षी रखकर विचार किया गया । चाहता था कि कल आप यहाँ होते । पढ़नेके बाद कागजात भेज रहा हूँ । अपनी राय तथा संभव हो तो गुरुदेवका आशीर्वाद तार द्वारा भेजें ।

महादेव देसाईके स्वाक्षरोंमें अंग्रेजी मसविदे ( एस० एन० ६४३६ ) की फोटो नकलसे ।

११९. पत्र : सी० एफ० एन्ड्रयूजको

फरवरी २५, १९१९

प्रिय चार्ली,

आज मैंने तुम्हें तार भेजा है। जब पहला तार दिया था, तब मैंने पत्र लिखने की बात सोची थी, परन्तु लिख न सका । मैं जबरदस्त मानसिक कष्टमें से गुजर रहा हूँ । क्योंकि एक ओर डॉक्टर कहते हैं कि मुझे किसी भी किस्मका श्रम नहीं करना चाहिए और दूसरी ओर मेरे अन्तरकी आवाज कहती है कि रौलट विधेयकों और वाइसरायकी घोषणाके मामलेमें मुझे अपनी आवाज उठानी चाहिए । मेरे मनमें परस्पर विरोधी विचार काम कर रहे थे और यह नहीं सूझ रहा था कि मैं क्या करूँ । बहुत-से मित्र मार्ग-दर्शनके लिए मेरी तरफ देख रहे थे । उन्हें मैं कैसे छोड़ सकता था ? कल हम लोग आश्रममें एकत्र हुए । अच्छी सभा हुई । सबकी इच्छा यह थी कि हम थोड़े हों, तो भी लड़ाईमें कूद पड़ना चाहिए । अन्तिम निर्णय मेरे ऊपर था । मुझे लगा कि उद्देश्य सच्चा है । क्या मैं उनको अकेला छोड़ दूं ? इस तरह तो मैं अपने प्रति सच्चा नहीं रह सकता था । परिणाम तुम्हें मालूम ही है। संलग्न कागजोंसे तुम्हें पूरी जानकारी मिल जायेगी । जब आत्मा अन्तर्द्वन्द्वकी पीड़ा भोग रही थी, उस समय ईश्वर ही जानता है कि तुम्हारी उपस्थितिकी कितनी जरूरत अनुभव कर रहा था । इस समय मेरा मन पूरी तरह शान्त है । वाइसरायको तार दे देनेके बाद मेरा चित्त खूब स्वस्थ हो गया है। उन्हें चेतावनी मिल चुकी है। जबरदस्त दावानल भड़क उठने जैसी स्थिति है । इसे रोकना उनके हाथमें है । अगर दावानल भड़का और यदि सत्याग्रहियोंने अपनी प्रतिज्ञाका सचाईसे पालन किया तो इससे वातावरण विशुद्ध होगा और उसीसे शुद्ध अच्छा स्वराज्य आयेगा ।