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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

राष्ट्र-संघ [ लीग ऑफ नेशन्स ] के समझौतेको समझाते हुए श्री विल्सनने जो भाषण किया, उसमें आधुनिक सभ्यताका वास्तविक रूप उन्होंने अनजाने प्रकट कर दिया है, यह तुमने देखा ? तुम्हें याद होगा उन्होंने कहा था कि यदि किसी टेढ़े जानेवाले पक्षपर नैतिक दबावका प्रयोग असफल रहेगा, तो वे राष्ट्र-संघके सदस्य अन्तिम उपाय, अर्थात् सैनिकबलका प्रयोग करनेमें पशोपेश नहीं करेंगे ।

हमारी प्रतिज्ञा पशुबलके सिद्धान्तका पर्याप्त उत्तर है । परन्तु इसीसे प्रकरण पूरा नहीं हो जाता । मि० अस्वातकी तरफसे मुझे लम्बा तार मिला है। दक्षिण आफ्रिकामें हिन्दुस्तानियों की स्थिति सचमुच बड़ी गम्भीर है । पिछली लड़ाईसे मिली हुई सारी शिक्षा मानो वे भूल ही गये हैं । वहाँके भारतीयोंको यदि हम यहाँसे कोई मदद नहीं पहुँचा सके, तो उनकी दशा बिल्कुल निःसहाय हो जायेगी। वे लोग अपनी कमजोरीके कारण सत्याग्रह न कर सकें, तो उनके दुःख दूर करानेके लिए हम सबको भारत सरकारसे कहना चाहिए और अगर सरकार अपनी मजबूरी जाहिर करे, तो हमें सत्याग्रह करना चाहिए। एक ही साम्राज्यकी हिस्सेदारीमें परस्पर विरोधी हितोंका अस्तित्व बना रहे, यह सम्भव नहीं हो पायेगा । मैंने सरकारको लिखा है और आज एक पत्र अखबारोंको भेज रहा हूँ ।

एक तीसरा प्रकरण भी है । अली बन्धुओंके मामलेमें सरकारको सलाह देनेके लिए बनाई गई कमेटी दो महीने हुए, अपनी रिपोर्ट दे चुकी है। वे सब कागजात मैंने पढ़े हैं, उनपर लगाये गये आरोपोंमें ऐसी कोई बात नहीं, जिससे उनकी नजरबन्दी सकारण मानी जा सके। अगर अब भी उनका छुटकारा न हो सके, तो मेरे लिए यह सत्याग्रह करनेका तीसरा कारण होगा ।

यह सब बोझा मैं आसानीसे वहन कर रहा हूँ । पिछले दो विषयोंके बारेमें तो मुझे कोई हृदय-मंथन नहीं करना पड़ा। अगर मुख्य लड़ाई शुरू हो जाये, तो ये दोनों मैं उसके साथ ही मिला दूँ और इस तरह त्रिपुटी पूरी हो जाये ।

तारसे तुम्हारे उत्तरकी में आतुरतासे बाट देखूंगा । और साथ ही पत्रके जरिये अपनी राय सविस्तार भेजो। लिखित मत बादमें देना । यह सुनकर तुम्हें कोई आश्चर्य नहीं होगा कि आश्रम में सब बहनोंने प्रतिज्ञापर स्वेच्छापूर्वक हस्ताक्षर कर दिये हैं । . . .

[ अंग्रेजीसे ]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।

सौजन्य : नारायण देसाई

१. टॉमस वूड्रो विल्सन (१८५६-१९२४); संयुक्त राज्य अमेरिकाके २८वें राष्ट्रपति

२. पेरिस शान्ति सम्मेलनमें दिया गया भाषण; देखिए “भाषण: मद्रासमें सत्याग्रहपर ", २०-३-१९१९ ।

३. देखिए “ पत्र : अखवारोंको ", २५-२-१९१९ की पार्दाटिप्पणी २ ।

४. देखिए " पत्र अखबारोंको ", २५-२-१९१९ ।