पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/१४०

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१२१. पत्र : सर स्टैनली रोडको

फरवरी २५, १९१९

आपको साथके कागजात भेजते हुए कुछ संकुचा रहा हूँ । परन्तु मेरा खयाल है कि मेरे लिए सही रास्ता यही है कि में इन्हें आपकी जानकारीमें ले आऊँ । सम्भव है कि विधेयकों-सम्बन्धी मेरी रायके बारेमें और इसी तरह उनके विरुद्ध न्यायप्राप्तिके लिए सोचे गये उपायोंके विषयमें आप मेरे साथ बिल्कुल सहमत न हों। इस मामले में मैं कोई बहस नहीं करूँगा, क्योंकि वाइसरायके नाम अपने तारमें मैंने जो दलीलें दी हैं, उनसे अधिक दलीलें मैं नहीं दे सकता ।

सारे कागजात गोपनीय हैं ।

इस मामलेपर आपकी साफ रायको में कीमती मानूँगा ।

[ अंग्रेजीसे ]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।

सौजन्य : नारायण देसाई

१२२. पत्र : सर दिनशा वाछाको

[ अहमदाबाद ]

फरवरी २५, १९१९

मैंने भाई शंकरलाल बैंकरसे कल कहा था कि वे सत्याग्रह-प्रतिज्ञा आपको दिखा दें और वाइसराय महोदयको दिया गया तार भी दिखा दें। वे आपने देखे होंगे । यह माँग तो मैं कैसे कर सकता हूँ कि आप इस लड़ाईमें शरीक हों । परन्तु आपका आशीर्वाद तो अवश्य चाहता हूँ। मैं कोई भी काम जल्दबाजी में करनेवाला नहीं हूँ । जब वाइसरायका जवाब आयेगा, तभी प्रतिज्ञा प्रकाशित की जायेगी। मुझे लगता है कि आजके वातावरण में बड़े हो रहे नौजवानोंके लिए अर्जियाँ आदि देनेका उपाय काफी नहीं, उन्हें हमें कोई-न-कोई कारगर उपाय देना चाहिए । मेरा तो खयाल यह है कि बम आन्दोलनको रोकने का उपाय केवल सत्याग्रह है । इस दृष्टिसे मैं आपकी सहायता माँग सकता हूँ । मेरे स्वास्थ्यके लिए आपने सदा चिन्ता रखी है, इसके लिए मैं किस तरह आभार प्रकट करूँ । अब [ सब कुछ ] ठीक है, अभी हृदय कमजोर है। शायद इस लड़ाई- रूपी टॉनिकसे तबीयत अपने-आप ठिकाने आ जायेगी ।

[ गुजरातीसे ]

महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५

१. टाइम्स ऑफ इंडियाके सम्पादक ।

२. दिनशा इदुलजी वाछा (१८८४-१९३६); प्रमुख फारसी नेता; भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके अध्यक्ष, १९०१; वाइसरायकी विधान परिषद के सदस्य ।