१२३. पत्र : अखबारोंको'
[ अहमदाबाद
फरवरी २५, १९१९]
सम्पादक
'बॉम्बे क्रॉनिकल'
बम्बई
मुझे ट्रान्सवाल ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्ष श्री अस्वातसे प्राप्त निम्नलिखित तारसे मालूम होता है कि यदि भारत सरकारकी अविलम्ब और प्रभावशाली कार्रवाई और आवश्यकता पड़नेपर सार्वजनिक कार्रवाई तक का सहारा लेकर उस खतरेको, जो ट्रान्सवालके भारतीयोंको अभिभूत किये हुए है, टाला न गया तो दक्षिण आफ्रिकामें
१. “ दक्षिण आफ्रिकी भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार", शीर्षकसे बॉम्बे क्रॉनिकलमें छपा था । २८-२-१९१९ को अमृतबाजार पत्रिका तथा २७-२-१९१९ को न्यू इंडिया ने भी इसे प्रकाशित किया था
२. महार्घ तथा अल्पार्घ धातु अधिनियम [ प्रेशस बेस मेटल्स ऐक्ट ] के अन्तर्गत की गई कानूनी कार्रवाइयोंका परिणाम भारतीय व्यापारियोंके खिलाफ निकला । चिर प्रतीक्षित निर्णयसे क्रूगडाप क्षेत्र प्रभावित; सम्पूर्ण विटवाटर्स रेंडमें व्यापारी समाजका वास्तविक विनाश । १९१० का ट्रान्सवाल अध्यादेश ९ ( ट्रान्सवाल ऑर्डिनेन्स ९, १९१२ ), राहत अधिनियम (रिलीफ ऐक्ट ) तथा भारतीय समाजको प्रभावित करनेवाले दूसरे कानूनोंपर कड़ाईके साथ अमल, उद्देश्य यूरोपीय प्रतिस्पर्धियों के लाभके लिए भारतीय व्यापारका उन्मूलन । ब्रिटिश समाज द्वारा क्रूर तथा प्रतिक्रियावादी नीतिका जोरदार विरोध । कार्रवाईका प्रायः युद्ध विरामके साथ-साथ किया जाना उद्देश्यपूर्ण । समाजको इस प्रकारकी नीतिका लक्ष्य बनाकर युद्धके समय भारतीयों द्वारा साम्राज्यके लिए की गई कुर्बानियोंका अत्यल्प मूल्यांकन किया गया है । समाज सुरक्षा के लिए अपील करता है । इस बीच केपटाउनकी वकील सभा में इसका पर्दाफाश करनेका प्रयत्न किया जा रहा है । कृपया जिस तरह बन सके सहायता करें | कर्नल शका कहना है कि वे उस समय मौजूद थे जब माननीय गोखले और आपने श्री स्मट्सके सामने स्वेच्छया वक्तव्य दिया था कि यदि संघमें रहनेवालोंके साथ अच्छा व्यवहार किया गया तो संवसे बाहरके व्यक्तियोंको यहाँ तक कि आवश्यक मामलोंमें भी अस्थायी अथवा पात्री अनुमतिपत्रों पर प्रवेशकी अनुमति देनेकी कोई आवश्यकता नहीं । मुहम्मद इसाक अपने सम्बन्धियोंके लिए डर्बनमें ४० हजारकी सम्पत्ति छोड़कर मरे । मॉरिशसका गृह विभाग प्रशासनिक उद्देश्यसे जमानतके बावजूद अस्थायी अनुमतिपत्र देनेसे इनकार करता है । स्वर्गीय माननीय गोखलेके वक्तव्यके आधारपर सरकारने नीति आरम्भ की है। कृपया यह मुद्दा स्पष्ट करें। सरकारका उद्देश्य हर सम्भव तरीकेसे भारतीयोंको तंग करना है । समाज अत्यन्त कष्टमें है । जबतक मामला सुधरता नहीं, आत्मसम्मान, मातृभूमिके सम्मानको कायम रखनेके लिए अनिच्छासे प्रतिरोध करते हैं । सलाह दें । ”