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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सत्याग्रहका अपने आनुषंगिक कष्टोंके साथ पुनः प्रारम्भ होना अवश्यम्भावी है । स्थितिकी माँग है कि लॉर्ड हार्डिंगकी कार्रवाईकी' पुनरावृत्ति की जाये और दक्षिण आफ्रिकाको तुरन्त एक शिष्टमण्डल भेजा जाये जिसमें एक प्रसिद्ध नागरिक हो और दूसरा उसीके समान प्रसिद्ध भारतीय पत्रकार ।

स्थिति क्या है ? तारमें उल्लिखित महार्घ तथा अल्पार्घ धातु अधिनियम [ प्रेशस ऐंड बेस मेटल्स ऐक्ट ] का ट्रान्सवालके स्वर्ण-क्षेत्रपर जहाँ भारतीय जनसंख्याका सबसे बड़ा भाग बसता है, असर पड़ता है । क्रूगर्सडार्प जोहानिसबर्गके पास एक महत्त्वपूर्ण शहर है, जिसमें बहुतसे भारतीय व्यापारी रहते हैं । उनमें से कुछके पास ३ लाख रुपये तक का माल है । यदि कोई राहत नहीं पहुँचाई गई तो इसका मतलब होगा समूचे स्वर्ण-क्षेत्र में रहनेवाले लोगों तथा व्यापारियोंका सर्वनाश । मालूम पड़ता है, संघ सरकारका उद्देश्य यह है कि वह संघके भारतीय अधिवासियोंको लकड़हारों तथा भिश्तियोंकी हालत में पहुँचा दे। संघके बहुत-से राजनीतिज्ञोंने भी खुले आम यह बात कही है। यह सम्भव है कि न्यायालयकी व्याख्या सही हो । यदि ऐसा है, तो स्वयं अधिनियमको परिवर्तित करना होगा और न केवल इसलिए कि भारतीय समाज ब्रिटिश प्रजा है, बल्कि १९१४ के सत्याग्रह समझौते के कारण भी उसकी रक्षा करनी होगी । यह समझौता निहित या वर्तमान अधिकारोंकी रक्षा करता है ।

जिस नीतिका मैंने उल्लेख किया है उसके अनुरूप किया गया यह निर्णय भारतीयोंकी आजादीपर सीधा आघात है । अपनी वर्तमान भारतीय आबादीको संघभरमें संरक्षणकी सुविधाएँ देनेसे इनकार करके सरकार उसे और भी अधिक तंग करना चाहती है। यदि समय-समयपर भारतीयोंके पास कोई न आये, यदि अचल सम्पत्तिवाले व्यक्तिके मरनेपर उसके विश्वस्त सम्बन्धी उसके कारोबारकी व्यवस्था करनेके लिए संघमें न आयें तो फिर वे वहाँ नहीं रह सकते। मैं यह समझ सकता हूँ कि दक्षिण आफ्रिकाका प्रमुख समुदाय अपनेसे भिन्न सभ्यतावाले लोगोंकी असीमित बाढ़को क्यों नहीं चाहता ; किन्तु सम्मिलित साम्राज्यके प्रति आस्था-प्रकाशनके साथ-साथ क्रूर मूलोच्छेदनकी नीतिका अनुसरण, यह मेरी समझ में नहीं आ सकता। इसके अतिरिक्त अस्थायी अनुमतिपत्र जारी करनेसे इनकार करना समझौतेको भंग करना है । हमेशा यह समझा जाता रहा है कि आवश्यकता पड़नेपर अस्थायी अनुमतिपत्र स्वीकृत कर दिये जायेंगे। कमसे-कम स्वर्गीय श्री मुहम्मद इसाकके मामलेमें, जिसका उल्लेख श्री अस्वातने अपने तारमें किया है, अस्वीकृतिका कोई सवाल ही नहीं उठ सकता। इस सम्बन्धमें स्वर्गीय श्री गोखलेके नामका उल्लेख करना एक पवित्र नामपर कलंक लगाना है । भेंटके समाप्त होनेपर श्री गोखले सीधे होटलमें आये, जहाँ हम ठहरे हुए थे । मुझे उनके सचिवके रूपमें काम करनेका सम्मान मिला था । मन्त्रियों और उनके मध्य जो कुछ भी वार्तालाप हुआ उन्होंने

१. १९१४ के गाँधी-स्मट्स समझौतेसे पूर्व दक्षिण आफ्रिकी सरकारके साथ भारतीयोंके प्रश्नपर बातचीत करनेमें भारत सरकारका प्रतिनिधित्व करनेके लिए वाइसरायने सर बेंजामिन रॉबर्ट्सनको नियुक्त किया था ।

२. देखिए खण्ड १२ ।