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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

खण्ड १५ : मुकदमेके दौरान [ यदि ] यह देखने में आये कि जो आरोप अभियुक्त पर लगाये गये हैं उन आरोपोंके अतिरिक्त उसने कोई और भी अपराध किया है, तो उसके लिए भी अदालत उसको सजा दे सकती है ।

खण्ड १७ : इस अदालतका फैसला अन्तिम और निर्णयात्मक माना जायेगा तथा कोई भी उच्च न्यायालय इस अदालत द्वारा जारी किये गये आदेश अथवा सजाके विरुद्ध फिरसे मुकदमा चलाये जानेकी याचिकाको स्वीकार नहीं कर सकता ।

भाग २

खण्ड २० : यदि गवर्नर-जनरलकी परिषद्‌को इस बातकी तसल्ली हो जाये कि ऐसी कोई भी हलचल, जिससे राज्यके विरुद्ध अपराध करनेमें उत्तेजना मिलनेकी सम्भावना हो, हिन्दुस्तानमें अथवा हिन्दुस्तानके किसी भी प्रदेशमें चल रही है तो वह विज्ञप्ति जारी करके इस कानूनका उल्लिखित भाग उक्त प्रदेशमें लागू कर सकती है।

खण्ड २१ : यदि स्थानीय सरकारको यह लगे कि उस प्रदेशमें कोई व्यक्ति ऊपर लिखित हलचलसे सम्बन्धित कार्य कर रहा है, तो वह उसके सम्बन्धमें निम्न- लिखित आदेश जारी कर सकती है :

(क) आदेशमें सूचित की गई तारीख के भीतर-भीतर ऐसे व्यक्तिको जमानतके साथ अथवा जमानतके बिना अधिक से अधिक एक वर्षकी अवधि के लिए अपने अच्छे चाल-चलनका मुचलका लिखकर देना पड़ेगा ।

(ख) आदेशानुसार उसे अपने रहनेके स्थानकी अथवा उसमें परिवर्तनकी सूचना देनी होगी ।

(ग) आदेशानुसार उसे निर्धारित स्थानपर रहना पड़ेगा ।

(घ) स्थानीय सरकारकी रायमें जिस कामसे शान्ति भंग होती है अथवा जनताकी सुरक्षाको हानि पहुँचती है तो वह उस कामको नहीं करेगा ।

(छ) उस व्यक्तिको आदेशमें उल्लिखित समयपर पुलिसके पास जाकर हाजिरी देनी होगी ।

टिप्पणी : इस खण्डके अधीन किसी भी व्यक्तिपर केवल सन्देहके आधारपर बिना कोई जाँच किये ऊपर लिखित आशयका आदेश जारी किया जा सकता है ।

खण्ड २३ : प्रत्येक अधिकारी उपर्युक्त आदेशको अमल में लानेके लिए जो भी कदम उठानेकी आवश्यकता जान पड़े उठा सकता है ।

खण्ड २४ : २१वें खण्डके अधीन जारी किया गया आदेश एक महीने तक चालू रहेगा ।

खण्ड २५ : स्थानीय सरकार जब-जब उपर्युक्त आदेश जारी करेगी, तब-तब उसे जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी इस कानूनकी रूसे नियुक्त होनेवाले जाँच अधिकारीके पास संक्षेपमें उपर्युक्त आदेशके सम्बन्धमें पूरी जानकारी भेजनी पड़ेगी और उसमें ऐसा आदेश दिये जानेके कारण भी बताने होंगे ।

उसके बाद जाँच-अधिकारी जारी किये गये आदेशके सम्बन्ध में गुप्त जाँच करेगा और इस जाँचके दौरान जिस समय उचित जान पड़े, उस व्यक्तिको जिसके विरुद्ध आदेश