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रौलट विधेयकोंका सार

जारी किया गया होगा, बुलायेगा और अपने विरुद्ध लगाये गये आरोपके सम्बन्धमें अभियुक्त यदि कुछ कहना चाहे तो वह उसे सुनेगा । लेकिन ऐसा करते हुए जाँच अधिकारी उस व्यक्तिसे एक भी ऐसी बात नहीं करेगा जिससे सार्वजनिक शान्ति अथवा किसी व्यक्ति की सुरक्षापर आँच आती हो । और फिर, 'ऐसी जाँच के दौरान स्थानीय सरकार की ओरसे अथवा पूर्वोक्त व्यक्तिकी ओरसे, कोई वकील उपस्थित नहीं रह सकता' ।

मुकदमेके तथ्योंको ढूँढ़ निकालनेके लिए पूर्वोक्त सत्ताधिकारीको जिस रीतिसे जाँच करना अच्छा लगे वह उस रीतिसे जाँच करनेके लिए स्वतन्त्र है और 'जाँच करते समय वह गवाहियोंके सम्बन्धमें बनाये गये कानूनके खण्डोंका अमल करनेके लिए बँधा हुआ नहीं है ।'

जाँच पूरा करनेके बाद वह अपने निर्णयसे स्थानीय सरकारको अवगत करायेगा ।

उक्त व्यक्तिपर जितने अर्से के लिए प्रतिबंध लगाया गया हो वह अवधि बीत जाये और तबतक यदि सत्ताधिकारीने अपनी जाँच पूरी न की हो तो स्थानीय सरकार अधिकारीकी सलाहपर प्रतिबन्धकी उस अवधिको बढ़ा सकती है।

खण्ड २६ : जाँच अधिकारीकी रिपोर्टके मिलनेके बाद स्थानीय सरकार स्वयं अपने द्वारा जारी किये गये प्रतिबन्धके आदेशको रद्द कर सकती है । अथवा उसे प्राप्त अधिकारकी रूसे यदि कोई दूसरा आदेश जारी करना चाहे तो कर सकती है। इस तरहके नये आदेश में [ सरकारको ] उक्त सत्ताधिकारीके निर्णयको बताना पड़ेगा और नये आदेशकी एक प्रति सम्बद्ध व्यक्तिको देनी पड़ेगी ।

स्थानीय सरकार द्वारा जारी किया गया कोई आदेश एक वर्षकी अवधिसे अधिक नहीं चल सकता, लेकिन यदि जनताकी सुरक्षाके लिए आवश्यक जान पड़े तो आदेशकी अवधि बीत जानेपर वह दूसरा आदेश जारी कर सकती है।

इस तरह जारी किया गया आदेश जारी करनेकी तारीखसे एक वर्षसे ज्यादा समय तक नहीं चल सकता, लेकिन उसके पूरा होनेके बाद स्थानीय सरकार उसे फिर एक वर्षके लिए और जारी कर सकती है। इसके अतिरिक्त स्थानीय सरकार इस तरह जारी किये गये आदेशको जब चाहे रद कर सकती है, उसमें संशोधन परिवर्धन कर सकती है, अथवा उसके स्थानपर दूसरा आदेश जारी कर सकती है और ऐसा करने में ऊपर बताये गये सत्ताधिकारीके पास फिरसे जाँच करानेकी आवश्यकता नहीं होगी ।

टिप्पणी : इसका अर्थ यह हुआ, स्थानीय सरकार स्वेच्छासे जैसा भी चाहे वैसा आदेश जारी कर सकती है और नाम मात्रका सत्ताधिकारी भी किसी कामका नहीं है ।

खण्ड २७ : ऊपर बताये गये आदेशोंका जो व्यक्ति उल्लंघन करेगा उसे अधिक से अधिक छ: महीनेकी कैद होगी, अथवा उसे एक हजार रुपये तक जुर्माना होगा अथवा दोनों सजाएँ [एक] साथ दी जा सकेंगी ।

खण्ड २९ : जाँच करनेवाले सत्ताधारी मण्डलमें तीन अधिकारियोंकी नियुक्ति होनी चाहिए । उनमें से एक जिला अथवा सेशन्स जजसे कम ओहदेका व्यक्ति नहीं होना चाहिए । और एक व्यक्ति गैर-सरकारी होना चाहिए ।

१. उद्धरण में दिये गये शब्द मूलमें रेखांकित हैं ।

२. उद्धरणमें दिये गये शब्द मूलमें रेखांकित हैं ।