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१२५. स्वयंसेवकों के लिए हिदायतें



फरवरी २६, १९१९[१]

सभाकी समितिने सत्याग्रहके सिलसिले में हस्ताक्षर लेनेवाले स्वयंसेवकोंके लिए नीचे लिखी हिदायतें जारी की हैं और उन्हें उनका पूरा-पूरा पालन करनेकी ताकीद की है।

विशेष हिदायतें

किसी भी व्यक्तिसे सत्याग्रहकी प्रतिज्ञापर हस्ताक्षर कराने के पहले स्वयसेवकको चाहिए कि वह उसे सत्याग्रहकी प्रतिज्ञा पढ़कर सुना दे और समझा दे । इस प्रतिज्ञाके तीन भाग हैं: पहले भागमें प्रतिज्ञाके उद्देश्य बताये गये हैं । इसमें कहा गया है कि प्रतिज्ञा करनेवाले लोग मानते हैं कि "रौलट-विधेयक अन्यायपूर्ण तथा स्वतन्त्रता और न्यायके सिद्धान्तोंके विरुद्ध हैं; उनसे व्यक्तिके बुनियादी अधिकारोंका हनन होता है। ऐसा कहनेवाले व्यक्तिको रौलट-विधेयकका अच्छा ज्ञान होना चाहिए, इसलिए प्रतिज्ञा लेनेवाले व्यक्तिको उन विधेयकोंके बारेमें अच्छी तरह समझा देना स्वयंसेवकोंका कर्त्तव्य है।

दूसरा भाग प्रतिज्ञाका है। इसमें हस्ताक्षरकर्त्ता शपथपूर्वक कहता है कि वह कुछ कानूनोंकी सविनय अवज्ञा करेगा। "सविनय" का अर्थ हस्ताक्षरकर्ताको अच्छी तरह समझाया जाये; जैसे, जिन कानूनोंके पीछे नैतिकताका बल है उन्हें भंग करना सविनय अवज्ञा नहीं है। उसी प्रकार कानून भंग करते समय जिन अधिकारियोंसे हमारा वास्ता पड़े उनके साथ अशिष्ट व्यवहार करना भी सविनय अवज्ञा नहीं है। परन्तु दूसरी ओर, यदि सरकारने कोई साहित्य जब्त कर लिया हो और हम उसे शुद्ध मनसे निर्दोष समझते हों, तो उसे अपने पास रखना और लोगों में बाँटना सविनय अवज्ञा है। स्वयंसेवकोंको चाहिए कि भावी हस्ताक्षरकर्त्ताओंको ऐसे उदाहरणोंकी सहायतासे सत्याग्रहका पूरा महत्त्व समझा दें।

हस्ताक्षर करनेके इच्छुक प्रत्येक व्यक्तिको यह समझा देना भी स्वयंसेवकोंका फर्ज है कि उसे हर प्रकार कष्ट सहने और आवश्यकता हो तो अपने प्राण और धन-सम्पदा सब कुछ उत्सर्ग कर देने को तैयार रहना चाहिए। उन्हें उसे यह भी समझा देना चाहिए कि यदि सब पीछे हट जायें तो उसे अकेले ही इस संघर्षको जारी रखनेके लिए तैयार रहना है। स्वयंसेवकको किसीसे हस्ताक्षर तभी लेने चाहिए जब उसे यह विश्वास हो जाये कि हस्ताक्षरकर्ता सभी जोखिम उठानेको तैयार है।

प्रतिज्ञाके तीसरे हिस्सेमें यह कहा गया है कि सत्याग्रहके दौरान सत्याग्रही निर्भय होकर सत्य और अहिंसाका पालन करेगा; उदाहरणार्थं वह कभी कोई गलत बयानी नहीं करेगा और कभी किसीका जी नहीं दुखायेगा। स्वयंसेवकोंको लोगोंके मनमें आग्रहपूर्वक

  1. १.देखिए महादेवभाईनी डायरी खण्ड ५।