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स्वयंसेवकों के लिए हिदायतें

यह बात उतारनी चाहिए कि हस्ताक्षर करनेसे पहले सत्य और अहिंसाके पालनमें निहित दायित्वोंको भली-भाँति समझ लेना जरूरी है। उन्हें ऐसी कोई बात नहीं कहनी चाहिए जो स्वयं उनकी समझमें न आती हो; उन्हें किसीको झूठी आशाएँ भी नहीं बँधानी चाहिए। यदि वे कोई बात समझाने में अपने आपको असमर्थ पायें तो या तो उन्हें खुद समितिसे पूछना चाहिए या स्वयं हस्ताक्षरकर्ताको ही समितिके पास जाकर बातको समझ लेनेके लिए कहना चाहिए । अहिंसामें अद्वेष तो आ ही जाता है, इसलिए अनजाने भी स्वयंसेवक किसीकी निन्दा या बदनामी हरगिज नहीं करेगा । यदि अपना काम करनेमें उनके सम्मुख पुलिस या और किसी व्यक्तिकी तरफसे रुकावट आती हो, तो उन्हें उत्तेजित नहीं होना चाहिए, बल्कि अपने विरोधीको वे शिष्टतापूर्वक अपना कर्त्तव्य समझा दें; उन्हें बतायें कि वे किसी भी परिस्थितिमें उसका पालन करनेको कृतसंकल्प हैं ।

सामान्य हिदायतें

१. हस्ताक्षर करानेके लिए निकलनेवाले हर स्वयंसेवकको समझ रखना चाहिए कि सत्याग्रहका एक भी सजग समर्थक, अपने दायित्वोंको समझे बिना हस्ताक्षर करनेवाले सौ व्यक्तियोंसे अच्छा है । इसलिए स्वयंसेवक हस्ताक्षरकर्त्ताओंकी संख्यामात्र बढ़ानेका लक्ष्य कभी न रखें ।

२. स्वयंसेवकोंको सभा द्वारा प्रकाशित रौलट विधेयकोंका सार सावधानीसे पढ़ और समझ लेना चाहिए और जिन्होंने मूल विधेयक या उनका अनुवाद नहीं पढ़ा है, उसे ऐसे भावी हस्ताक्षरकर्त्ताओंको समझा देना चाहिए ।

३. प्रतिज्ञाको समझाते समय स्वयंसेवकोंको इस बातपर उचित ढंगसे जोर देना चाहिए कि सत्याग्रहकी सच्ची परीक्षा और असली शक्ति सत्याग्रहीकी कष्ट सहनकी क्षमतामें है । उन्हें हस्ताक्षरकर्त्ताओंको चेतावनी दे देनी चाहिए कि सत्याग्रह करने के कारण उन्हें व्यक्तिगत स्वतन्त्रता तथा जमीन जायदाद गँवानी पड़ सकती है; वे तभी प्रतिज्ञा पर दस्तखत करें जब इतना त्याग करनेके लिए तैयार हों, इतना करनेके बाद अगर स्वयंसेवकको विश्वास हो जाये कि जो व्यक्ति हस्ताक्षर करने जा रहा है, उसने अपने मनमें संकल्प कर लिया है, तो वह उससे हस्ताक्षर करा ले ।

४. स्वयंसेवक १८ वर्षसे कम आयुके लोगों तथा विद्यार्थियोंसे हस्ताक्षर न करायें । और १८ सालसे अधिक उम्र के लोगोंसे भी वे हस्ताक्षर तभी करायें जब उन्हें पूरा विश्वास हो जाये कि उन्होंने सावधानीके साथ सोच-विचार लेनेपर हस्ताक्षर करनेका निर्णय किया है । स्वयंसेवक ऐसे किसी व्यक्तिको हस्ताक्षर करनेके लिए प्रेरित न करें, जिसकी कमाई उसके परिवारके लोगोंके भरण-पोषणका एकमात्र साधन हो ।

५. हस्ताक्षर ले लेनेके बाद स्वयंसेवक स्वयं हरएक आदमीका पूरा नाम- पता और धन्धा साफ और आसानीसे पढ़ने लायक अक्षरोंमें लिख ले । जिस आदमीके हस्ताक्षर पढ़े न जा सकें, उसके हस्ताक्षरके नीचे शुद्ध, साफ अक्षरोंमें उसका

१. देखिए पिछला शीर्षक ।