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१२९. तार : सैयद हुसैनको

मार्च २, १९१९

प्रतिज्ञाके वर्तमान रूपपर ही हस्ताक्षर करायें । इसमें भरपूर गुंजाइश रहती है। कानूनोंकी व्याख्या करनेसे क्षेत्र सीमित हो पहलेसे व्याख्या करना असम्भव । जल्दी में वैयक्तिक लिए समिति नियुक्त । आन्दोलनकी प्रगति देखकर भंग किये जानेवाले कानून सूचित किये जाते या तो यहाँ की समितिका, जिसे कि केन्द्रीय समिति कह सकते हैं, अंग हो, या चाहें तो आप अपनी स्वतन्त्र समिति स्थापित कर सकते गांधी कल दिल्ली जा रहे हैं। यदि आवश्यकता हो तो कोई उनसे वहाँ मिल ले । अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ६४४१ ) की फोटो - नकलसे ।

१३०. पत्र : देवदास गांधीको[१]

[दिल्ली
मार्च ५, १९१९ या उसके आसपास ][२]

लड़ाई शुरू होनेके बादसे में तुम्हें पत्र नहीं लिख सका हूँ । उसके बाद मुझे तनिक भी फुरसत नहीं रही। लड़ाईके ऊपर तुम खूब विचार कर रहे होगे और तुम्हारा मन इसमें शामिल होनेको ललचाया होगा । लेकिन यह आवश्यक है, तुम अपना हिन्दी पढ़ानेका काम चालू रखो ।

मैं वाइसरायसे मिला हूँ । बातचीत बहुत ही विनयपूर्ण और मैत्रीपूर्ण वातावरण में हुई है। मुझे ऐसा आभास हुआ कि हम दोनों एक दूसरेको समझते हैं; लेकिन एक-दूसरेको समझा नहीं सके । अंग्रेजोंका स्वभाव ही ऐसा होता है कि वे तर्क के वश नहीं, [ परिस्थितियोंसे फलित ] अनुभवके वश होते हैं । वह परिणामकी चिन्ता नहीं करता और सिरपर आई आपत्तिको झेल लेता है । जो होना होगा सो होगा, यह जानकर निश्चिन्त रहता है और मनमें जो निश्चय कर लिया है उसका पालन जहाँ तक हो सके दृढ़तापूर्वक करता चला जाता है। उसे अपने शरीर बल और शस्त्र बलका

  1. पत्र देवदास गांधीको लिखा गया था, इस बातका अंदाजा पत्रमें उल्लिखित हिन्दी पढ़ानेकी बातसे लगाया गया है; क्योंकि १९१९ में मद्रासमें इस कामका दायित्व देवदास गांधीपर ही था ।
  2. सत्याग्रह फरवरी १९१९ को आरम्भ हुआ था । गांधीजी ५ मार्च १९१९ को वाइसरायसे मिले थे ।