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पत्र : वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको

विधेयकोंकी उत्पत्ति ही हिंसासे हुई है। केवल एक ही विकल्प है : और वह है सत्याग्रह अथवा सरकारी कानूनोंकी अवज्ञा करना, और, ऐसी अवज्ञाके फलस्वरूप होनेवाले सभी कष्टोंको झेलना । सत्याग्रहके द्वारा ही भारत हिंसासे अपना पीछा छुड़ा सकेगा । धैर्य- पूर्वक कष्ट सहनके आगे शक्तिशालीसे शक्तिशाली सत्ता भी झुककर रहेगी। मैं आशा करता हूँ और ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि आध्यात्मिक शस्त्रकी सहायतासे भारत समस्त संसारको प्राच्य और पाश्चात्य सभ्यताओंमें जो जबरदस्त अन्तर है उसे दिखा सके। मैं आप लोगोंको जल्दबाजीमें कोई काम न करनेके लिए सावधान करता हूँ । रौलट विधेयकोंका अर्थ क्या है, या सत्याग्रह-शपथ क्या है और उसके परिणामस्वरूप क्या-क्या कष्ट उठाने होंगे इसे अच्छी तरह समझे बिना किसीको भी प्रतिज्ञापत्रपर हस्ताक्षर नहीं करने चाहिए ।

[ अंग्रेजीसे ]
अमृतबाजार पत्रिका, १३-३-१९१९
 

१३२. पत्र : वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको

[ दिल्ली ]
मार्च ८, १९१९

मैं आज शामको इलाहाबादके लिए रवाना हो रहा हूँ; वहाँसे बम्बई जाऊँगा । यदि मैं स्वस्थ होता तो अवश्य ही उन व्यक्तियोंमें से अधिकांश लोगोंसे भेंट करता जिन्होंने रौलट बिलके खिलाफ प्रारम्भ किये गये सत्याग्रहके विरोध में प्रकाशित ज्ञापनपर' हस्ताक्षर किये हैं । मैं कल सर जेम्स डुबाउलेसे मुलाकातके लिए जाते समय आशा कर रहा था कि उनसे मिलनेके बाद आपके पास आऊँगा, परन्तु ६ बजे शामके बाद तक उनसे बातचीत होती रही; फिर भोजन करना था इसलिए वहाँसे मैं सीधा श्री रुद्रके घर चला गया । मैं एक बात कल आपसे कहना चाहता था; आज कह पा रहा हूँ: आप कृपया हस्ताक्षरकर्त्ताओंको बता दें कि मैं उनके समक्ष अपनी स्थिति अखबारोंके जरिये जितनी स्पष्ट की जा सकती है उससे अधिक स्पष्ट करना चाहता था; और ऊपर जो कारण मैंने बताये हैं, यदि वे न होते तो मैं मिलकर उसे स्पष्ट भी करता । मैं यह भी कहना चाहूँगा, हालाँकि यह अनावश्यक ही है कि हस्ताक्षरकर्त्ताओंमें से जिनसे मैं परिचित हूँ उनके प्रति मेरे आदरभावमें इस ज्ञापनके कारण जरा भी अन्तर नहीं पड़ा है । मैं उन सज्जनोंकी रायकी कद्र करता हूँ; यह मेरा दुर्भाग्य है कि मैं उनकी

१. यह ज्ञापन सर डी० ई० वाछा, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, श्री श्रीनिवास शास्त्री तथा अन्य नरमदलीप नेताओंके हस्ताक्षरोंसे २ मार्चको प्रकाशित किया गया था । २. भारत सरकारके गृहसचिव ।