सहमति प्राप्त न कर सका। फिर भी मुझे आशा बनी हुई है कि ज्यों-ज्यों संघर्ष जोर पकड़ता जायेगा, उन्हें उसका उज्ज्वल पहलू नजर आने लगेगा । और वे मेरे इस विचारसे सहमत होते जायेंगे कि हमारे देशके महत्त्वाकांक्षी और साहसी नवयुवकोंको, उनके सामने अन्य कोई बेहतर तरीका न होनेके कारण, आपत्तिजनक गतिविधियोंमें प्रवृत्त होनेसे रोकनेका एकमात्र तरीका यही है कि कोई ऊर्जस्वी आन्दोलन किया जाये--और सत्याग्रह एक ऐसा ही ऊर्जस्वी आन्दोलन है ।
हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी
- एस० एन० ६४४६ की फोटो नकलसे ।
१३३. भाषण : लखनऊमें सत्याग्रहपर
लखनऊ
मार्च ११, १९१९
श्री गांधीका भाषण सुनने के लिए सत्याग्रहके समर्थकोंकी एक सार्वजनिक सभा सुबह ८.३० बजे रिफा-ए-आम हॉलमें हुई।...
इसके बाद गांधीजीने, जो बहुत अधिक कमजोरीके कारण अधिक बोलनेमें असमर्थ थे, थोड़ेसे शब्दोंमें सत्याग्रहके आधारभूत सिद्धान्तोंके बारेमें बताया और श्रोताओंसे कहा कि वे 'शेम-शेम' [ शर्म-शर्म ] त चिल्लाएं, क्योंकि ऐसा व्यवहार सत्याग्रहके विपरीत है। इसके अलावा सभी लोगोंसे यह आशा भी नहीं की जा सकती कि वे आन्दोलनका समर्थन करें या उसमें शामिल हों । ...[ सभाके ] अध्यक्ष सहित कुल मिलाकर ग्यारह लोगोंने प्रतिज्ञा ली...।
- लीडर, १३-३-१९१९