पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/१६३

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१३४. तार : वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको

लखनऊसे आते हुए गाड़ीमें
मार्च ११, १९१९


मैं अपनी यात्राओंमें जनताकी भावनाको जितना जान पाया हूँ, उसके आधारपर कह सकता हूँ कि वह बहुत तीव्र है लिए। सार्वजनिक हितके लिए स्वार्थत्याग करनेकी आदत न होने के कारण वे अकर्मण्य भले दिखाई दें, परन्तु यदि [ रौलट ] विधेयक पास करनेका प्रयत्न जारी रहा तो कटुताका प्याला लबालब भर जायेगा। यद्यपि विरोधके तरीकोंपर हममें मतभेद है, फिर भी आशा है, आप इन विधेयकोंके पास किये जानेका विरोध करके जनताकी भावना व्यक्त करेंगे।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ६४५१) की फोटो - नकलसे।

१३५. तार : वाइसराय के निजी सचिवको

द्वारा पं० मोतीलाल नेहरू
इलाहाबाद
मार्च ११, १९१९

मैं इस अंतिम क्षणमें फिर परमश्रेष्ठ तथा उनकी सरकारसे सादर निवेदन करता हूँ कि वे रौलट विधेयकोंको पास करनेके पहले थोड़ा रुककर विचार करें। इस कानूनके बारेमें जनताकी राय उचित हो या अनुचित,पर उसकी प्रबलताके बारेमें सन्देहकी गुंजाइश नहीं है। मुझे यकीन है कि सरकार वर्तमान कटुतापूर्ण स्थितिको और अधिक कटु नहीं बनाना चाहती। कुछ विलम्ब होनेसे सरकारकी कोई हानि नहीं होगी, बल्कि यदि वह लोकमतके सामने स्पष्ट रूपसे झुक गई तो कटुता मिटेगी और उसकी वास्तविक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। में कल जबलपुर मेलसे बम्बईके लिए रवाना हो रहा हूँ।

[ अंग्रेजीसे ]

नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया : होम : पॉलिटिकल-ए : मार्च १९१९, सं० २५०