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१४३. भाषण : मद्रास में सत्याग्रहपर[१]

मार्च १८, १९१९

मैं कुर्सी पर बैठे-बैठे ही आपसे दो शब्द कहना चाहता हूँ, इसके लिए आप मुझे क्षमा करेंगे। मेरा हृदय कुछ कमजोर हो गया है, इसलिए डॉक्टरोंकी हिदायत है कि मैं विशेष शारीरिक श्रम न करूँ। मजबूरन मुझे अपनी बातें आपको एक सहायकके जरिये पढ़कर सुनानी पड़ेंगी। लेकिन मैं आपसे एक निवेदन कर देना चाहता हूँ। वह यह कि आप प्रतिज्ञा- पर हस्ताक्षर करनेसे पहले खूब सोच-विचार लीजिए। लेकिन जब एक बार उसपर हस्ताक्षर कर दें तो आपको ध्यान रखना होगा कि वह टूटने न पाये। मैं ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि वह आपको भी और मुझे भी इस प्रतिज्ञाका निर्वाह करनेकी शक्ति दे। [ फिर महादेवभाईने प्रस्तावना-स्वरूप दो शब्द कहनेके बाद गांधीजीका निम्नलिखित भाषण पढ़कर सुनाया : ]

मुझे खेद है कि दिलकी कमजोरीके कारण मैं स्वयं आपके सामने बोलनेमें असमर्थ हूँ । यों आप बहुत-सी सभाओंमें शामिल हुए होंगे, लेकिन जिन सभाओंमें जानेका अवसर आजकल मिल रहा है, वे कुछ अलग ढंगकी हैं । इन सभाओंमें आपसे शीघ्र ही कोई ठोस और सुनिश्चित बलिदान करनेकी माँग की जाती है ताकि हमपर रौलट विधेयकोंके रूपमें जो भयंकर विपदा आन पड़ी है, उसे दूर किया जा सके। इनमें से विधेयक संख्या १ में कुछ महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किये गये हैं और उसपर आगे विचार करना मुल्तवी कर दिया गया है । किन्तु, इन परिवर्तनोंके बावजूद वह विधेयक इतना शरारत-भरा है कि उसका विरोध करना ही होगा। दूसरा विधेयक परिषद् में इसी समय अन्तिम रूपसे, शायद पास हो गया है- शायद " इसलिए कि जब कभी गैर-सरकारी सदस्योंने एक स्वरसे कड़े शब्दोंमें इसका विरोध किया हो तब यह कहना कठिन है कि उस पवित्र सदनने विधेयक पास कर दिया है। इन विधेयकोंके विरोधकी आवश्यकता सिर्फ इसीलिए नहीं है कि ये बहुत बुरे हैं । ये इस कारण भी विरोधके पात्र हैं कि जिस सरकारने इन्हें पेश किया है उसने निःसंकोच जनमतकी लगभग उपेक्षा की है। और उसके कुछ कर्ता-धर्ता तो इस प्रकार जनमतकी उपेक्षा करनेमें गर्वका अनुभव करते हैं । यहाँतक तो देशकी सभी विचारधाराओंके बीच मतैक्य है । किन्तु, मैंने बहुत शुद्ध मनसे विचार करने और सरकारके दृष्टिकोणको ध्यानपूर्वक जाँचने-परखनेके बाद इस विधेयकके विरुद्ध सत्याग्रह करनेकी प्रतिज्ञा की है और जो भाई और बहन मेरी तरह सोचते हों, मेरी तरह अनुभव करते हों उन सभीको ऐसी ही प्रतिज्ञा लेनेको आमन्त्रित किया है । हमारे कुछ देशभाइयोंने इस सम्बन्धमें लोगोंको आगाह किया है और यहाँतक कह डाला है कि सत्याग्रह आन्दोलन देशके हितोंके विरुद्ध है । इन लोगोंमें हमारे कुछ बड़ेसे-बड़े नेता भी शामिल हैं। उनके और उनके विचारोंके प्रति मेरी असीम श्रद्धा है । इनमें से


  1. सभा 'ट्रिप्लिकेन बीच' पर हुई थी और अध्यक्षता एस० कस्तूरी रंगा आयंगारने की थी ।