पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/१७४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१४४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दिया जाये। जैसा कि आपको कल सरोजिनी देवीने बताया, सच्ची धर्मनिष्ठा और तदनुरूप आचरणमें इसकी शक्तिका रहस्य छिपा हुआ है, और जब एक बार आप राजनीतिमें धर्मके तत्त्वोंका समावेश कर देंगे तो आपका पूरा राजनीतिक दृष्टिकोण ही बदल जायेगा। फिर आप जो भी सुधार लाना चाहेंगे वह उसके विरोधियोंको कष्ट देकर नहीं बल्कि स्वयं कष्ट उठाकर लायेंगे। इस प्रकार हम इस आन्दोलनमें घोर कष्ट-सहनके द्वारा सरकारके इन आपत्तिजनक विधेयकोंको वापस न लेनेके संकल्पको परिवर्तित करवाने की आशा करते हैं, लेकिन कुछ लोगोंका कहना है कि सरकार इन मुट्ठीभर सत्याग्रहियोंको अछूता छोड़ देगी और उन्हें शहादतका मौका ही नहीं देगी। मेरी नम्र सम्मतिमें, यह तर्क तो बहुत कमजोर है । यहाँ एक बातकी निराधार कल्पना कर ली गई है। यदि सत्याग्रहियोंको अछूता छोड़ दिया जाता है तब तो यही माना जायेगा कि वे पूरी तरह विजयी हो गये, क्योंकि उनके अछूते छोड़ दिये जानेका मतलब यह होगा कि वे रौलट विधेयकों तथा देशके अन्य कानूनोंकी भी उपेक्षा करनेमें सफल हो गये हैं, और इस प्रकार यह भी दिखा दिया है कि किसी भी सरकारके प्रति सविनय अवज्ञासे कोई अनिष्ट नहीं हो सकता । फिर, मैं उक्त कथनको निराधार कल्पना इसलिए मानता हूँ कि इसमें आन्दोलनके मुट्ठी-भर स्त्रियों और पुरुषों तक सीमित रह जानेकी बात कही गई है। सत्याग्रहका मुझे जो कुछ अनुभव है, उसके आधारपर मेरी मान्यता तो यह है कि इसमें कुछ ऐसी प्रबल शक्ति है कि एक बार प्रारम्भ कर दिये जानेपर यह निरन्तर फैलता ही चला जाता है, और अन्ततः जिस समाजमें इसका प्रयोग किया जाता है उसमें इसका प्रभाव सर्वोपरि हो जाता है; और यदि यह इस प्रकार फैल गया तब तो कोई भी सरकार इसकी उपेक्षा नहीं कर सकती । फिर उसे या तो इसके सामने झुकना है, या इस आन्दोलनके कार्यकर्त्ताओंको जेलों में बन्द करना है। लेकिन मैं बहस नहीं करना चाहता । कहावत है कि हाथ कंगनको आरसी क्या । अब चाहे यह अच्छा हो या बुरा, आन्दोलन प्रारम्भ कर दिया गया है। हमारी कीमत हमारी कथनीसे नहीं, करनीसे आँकी जायेगी। इसलिए, हमारा प्रतिज्ञापर हस्ताक्षर कर देना ही काफी नहीं है । यह तो केवल इस बातकी पूर्वसूचना है कि हम उसके अनुसार आचरण करनेको कृतसंकल्प हैं । और यदि प्रतिज्ञापर हस्ताक्षर करनेवाले सभी लोग तदनुसार आचरण भी करेंगे तो मैं आपको यह वचन देनेका साहस करता हूँ कि हम विधेयकोंको वापस करवा कर रहेंगे और फिर हमारे विरुद्ध न सरकार एक शब्द कह सकेगी और न हमारे आलोचकगण । उद्देश्य महान् है, और हमने जो उपाय अपनाया है, वह भी महान् है । आइए, अब हम अपने-आपको उनके उपयुक्त सिद्ध करें ।

[ अंग्रेजीसे ]

महात्मा गांधी : हिज लाइफ़, राइटिंग्ज ऐंड स्पीचेज,



Gandhi Heritage Portal