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भाषण : सत्याग्रहपर

२. बिना लाइसेंसका एक लिखित समाचारपत्र ।

मैंने सोच-विचारकर ही बम्बई समितिसे यह कहा है कि वह जनताके सामने इससे कुछ और अधिक रखे। फिलहाल में इसे बुद्धिमत्तापूर्ण नहीं समझता कि घटनाएँ क्या मोड़ लेती हैं, यह जाने बिना अभी से पूरा कार्यक्रम जनताके सामने रख दिया जाये । मेरे कार्यक्रममें अन्य कानून भी हैं जैसे कि एल० आर० कानून, नमक कानून और राजस्व कानून । सबसे अच्छा तरीका यह है कि प्रत्येक प्रान्तमें अपना पृथक स्वतन्त्र संगठन हो और वे सभी विभिन्न संगठन सहयोग करें ।

अखिल भारतीय केन्द्रीय समितिकी कठिनाइयाँ ।
आपसमें मिलने-जुलनेकी कठिनाइयाँ ।
प्रतिनिधित्वका प्रश्न ।

मैं निश्चय ही यह सुझाव देना चाहता हूँ कि चूँकि हममें से जो लोग मार्गदर्शक हैं उन्हें सबसे पहले जाना होगा, इसलिए उस कामको दृष्टिमें रखकर आप अपना पत्र बन्द कर सकते हैं ।

सत्याग्रहियोंको कार्यक्षेत्रमें ही रहना चाहिए। सत्याग्रही अपने व्यवसायको गौण स्थान दे । हम अपने आपको एक ऐसी सेना समझें जो विनाशकारी नहीं अपितु निर्माणकारी होती है; और यदि आवश्यक हो तो अपना विनाश स्वीकार करनेवाली होती है । ऐसी सेनापर जो नियम लागू होते हैं, उन सबको हम अपनी सभापर लागू करें ।

महादेव ह० देसाई

निश्चित ही बुधवार[१]तक इस प्रेसीडेंसीमें शायद इतवार[२]तक भी।

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६४६७) की फोटो - नकलसे ।

१५१ भाषण : सत्याग्रह आन्दोलनपर[३]

तंजौर,[४]
मार्च २४, १९१९

नये फौजदारी कानूनोंका देश द्वारा स्वीकार किया जाना देशके लिए अधःपतन और अपमानको बात है। जब कोई राष्ट्र यह अनुभव करे कि कोई कानून राष्ट्रके लिए अपमानजनक है तो उसको एक स्पष्ट कर्त्तव्य पूरा करना होता है। पश्चिमी देशों में जब शासक कोई अन्याय करते हैं तो वहाँ खूनखराबी हो जाती है। इसके विपरीत भारतमें लोग हिंसाके सिद्धान्तको सहजतः नापसन्द ही करते हैं । इसलिए हम

  1. मार्च २६ ।
  2. मार्च ३० ।
  3. इस सभाकी अध्यक्षता वी० पी० माधवरावने की थ।
  4. अब इसे तंजावरु कहने लगे हैं ।