पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/१८५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।



१५५
तार : सत्याग्रह सभा, बम्बईको


आदरसूचक और शालीन भाषाका प्रयोग करना चाहिए। हमें शोभास्पद भाषामें वाइसराय और भारत-मन्त्रीसे अपील करनी चाहिए कि वे उक्त नये कानूनोंको वापस ले लें। आपको प्रतिज्ञा लेते समय यह समझ लेना चाहिए कि आपको किसीके जान-माल को नुकसान नहीं पहुँचाना है, वरन् सबके साथ शान्तिपूर्वक और सद्भावपूर्वक काम करना है । सत्याग्रहसे वह काम हो सकेगा जो इस कानूनसे नहीं हो सका । अर्थात् इससे देश हिंसा से मुक्त हो जायेगा। मुझे आशा है कि आप लोग इस सत्याग्रहको स्वीकार करनेका फैसला करेंगे और स्वीकार कर लेनेपर एक बार प्रतिज्ञा ले चुकनेके बाद उससे कभी पीछे न हटेंगे । आपको सभामें ही प्रतिज्ञापर हस्ताक्षर करनेकी जरूरत नहीं है, बल्कि आप इस विषयपर शान्तिसे एक या दो बार नहीं, पचास बार यह विचार करनेका समय ले सकते हैं कि आपसे जो आशा की जाती है उसको पूरा करनेकी क्षमता आपमें हैं या नहीं है और उतना अनुशासन और त्याग भी आपमें है या नहीं । आपको याद रखना चाहिए कि यह एक पवित्र प्रतिज्ञा है और कोई भी भारतीय इसे मनमाने ढंगसे तोड़ नहीं सकता। यदि आप इसे अभी नहीं मानते तो आपको जल्दी ही इस बातपर पछताना पड़ेगा कि आप आन्दोलनमें शरीक नहीं हुए। यदि आप कमजोरी या किसी अन्य कारणसे संघर्षमें पूरी तरह हाथ नहीं बँटा सकते तो कमसे कम सीमा तक अवश्य बँटा सकते हैं और उसके अनेक कामोंमें कई तरीकोंसे, सहयोग दे सकते हैं। मुझे आशा है कि भगवान्‌ने आपको पर्याप्त शक्ति और बुद्धि दी है कि आप इस नाजुक समयमें यह प्रतिज्ञा लें और ईमानदारीसे देशके प्रति उसके संकटमें अपना फर्ज अदा करें।[१]

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, २६-३-१९१९

१५२. तार : सत्याग्रह सभा,बम्बईको

टेप्पाकुलम
त्रिची
[ मार्च २५, १९१९]

इससे अगले इतवारको उपवास करने, कामपर न जाने और आम सभाओंका सुझाव दिया है। रौलट कानूनोंको वापस लेनेकी प्रार्थना कर रहा हूँ । आशा है समिति अनुमोदन करेगी। सलाहको मान लेगी । देखनेके बाद सोमवारको

  1. १. गांधीजीके भाषणका तमिलमें अनुवाद एस० एस० राजन्ने किया था । लगभग पचास लोगोंने सभामें प्रतिज्ञापर हस्ताक्षर किये ।