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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


कानून तोड़ना शुरू करेंगे। आज त्रिचीमें । कल मदुरामें। बृहस्पतिवार तूती- कोरिनमें। शनिवार नागापट्टनममें। बुधवारको वहाँ पहुँच रहा हूँ ।

गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

एस० एन० ६४७६ की फोटो नकलसे ।

१५३. एक तार[१]

[ मार्च २५, १९१९]

उत्तर न दे सकनेके लिए क्षमा करें । कार्यवश स्थगित ।आज लिख रहा हूँ ।

[ अंग्रेजीसे ]

एस० एन० ६४७६ की फोटो नकलसे ।

१५४. पत्र : ओ० एस० घाटेको

त्रिचिनापल्ली
[ मार्च २५, १९१९]

प्रिय श्री घाटे,

मुझे अत्यन्त खेद है कि मैं इससे पहले आपके पत्रका उत्तर नहीं दे पाया। मद्रासमें आकर मैं सत्याग्रहके काम में इतना डूब गया कि मैं किसी भी पत्रका कोई उत्तर नहीं सका। आपके जरूरी पत्रका उत्तर देनेमें इतना विलम्ब हो जानेपर मैं लज्जित हूँ । आशा है आप भुझे इस देरके लिए क्षमा कर देंगे ।

सर जेम्स डुबाउले और मेरे बीच जो बातचीत हुई उसे संक्षेपमें दे रहा हूँ :उन्होंने कहा कि सरकार किसी फैसलेपर नहीं पहुँच सकी है, वह विचार कर रही है। उन्होंने मुझे समितिकी रिपोर्ट तो नहीं देखने दी; किन्तु वे खुद भी उससे सन्तुष्ट नहीं थे । भेंटकी समाप्तिपर मैंने देखा कि हमारे मित्र[२]। उन्हीं गुणोंके कारण नजरबन्द रखे जा रहे हैं जो मैंने अपने पत्र में बताये हैं । जैसा कि आप जानते हैं, मैं लखनऊमें था वहाँ बातचीत करनेके बाद, तथा दिल्ली में भी मित्रोंके साथ बातचीत करनेके बाद में इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि आपको अली बन्धुओंकी रिहाईके लिए अलग सत्याग्रह करके लोगोंको भ्रमित नहीं करना चाहिए; इससे मुख्य प्रश्न में उलझाव पैदा होता है। वर्तमान आन्दोलन में अप्रत्यक्ष रूपसे यह प्रश्न आ ही जाता है; और मैं इसकी चर्चा कुछ

 
  1. १. यह तार स्पष्टतः ओ० एस० घाटेको भेजा गया था । देखिये अगला शीर्षक ।
  2. १. अली वन्धु