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भाषण : सत्याग्रह आन्दोलनपर

 दिनों संघर्ष चल चुकनेके बाद करना चाहता हूँ । मुझे अब भी आशा है कि वे शायद रिहा कर दिये जायेंगे। ऐसा मत सोचिए कि उनके फिलहाल भारत से चले जानेके सुझावसे या सचमुच चले जानेसे समस्याके समाधानमें कुछ सहायता मिलेगी। जब समय आयेगा, यदि आया तो, मेरी दृढ़ सलाह यह होगी कि उन्हें नजरबन्दीकी आज्ञाका अनादर और जेलका आह्वान करना चाहिए; परन्तु यह वे मेरे साथ-साथ ही करें। यदि वे क्या करना है, यह निश्चित कर लें तो मैं खुद छिंदवाड़ा जाऊँगा । तब फिर वे मेरे साथ कानूनकी अवज्ञा करें । परन्तु अब चूंकि हमारा रौलट कानून सम्बन्धी आन्दोलन चल रहा है, इसलिए हमें अपने इन मित्रोंके मामलेमें और भी धैर्य रखना चाहिए। यह न सोचिए कि सरकार और मेरे बीचका पत्र-व्यवहार प्रकाशित किया जा सकता है । यह व्यक्तिगत पत्र-व्यवहार जैसा है । जब मुझे सार्वजनिक रूपसे प्रश्नकी चर्चा करनी होगी तब में सारे तथ्य प्रकाशित करूँगा । परन्तु जबतक कोई इतना ही सबल हेतु न हो, तबतक में समझता हूँ कि यह पत्र-व्यवहार प्रकाशित नहीं किया जाना चाहिए। धार्मिक प्रश्नके बारेमें अली बन्धु जो लिखना चाहें, लिखें। परन्तु मैं चाहता हूँ कि उनके प्रतिवेदनमें तर्क-वितर्क या नफरत नहीं होनी चाहिए। दलीलोंसे युक्त प्रतिवेदनकी अपेक्षा सादा प्रतिवेदन जिसमें शुद्ध तथ्य रखे गये हों, असीम रूपसे शक्तिशाली होगा । मैं मानता हूँ कि बारी साहबसे मेरी जो बातचीत हुई थी उसकी पूरी जानकारी हमारे दोस्तोंको है ।

हृदयसे आपका,

हस्तलिखित अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६४७८) की फोटो नकलसे ।

१५५. भाषण : सत्याग्रह आन्दोलनपर [१]

त्रिचिनापल्ली
मार्च २५, १९१९

मित्रो,

खड़े होकर न बोल सकनेके लिए आपसे मैं क्षमा चाहता हूँ। मेरा शरीर इतना निर्बल है कि मैं खड़ा नहीं हो सकता । आपसे तमिलके बजाय अंग्रेजीमें बोलनेके लिए भी आप मुझे क्षमा करें। मैं आपसे हिन्दीमें बोल सकता तो मुझे खुशी होती, लेकिन यह दुर्भाग्यकी बात है कि आपने अभीतक राष्ट्रभाषाका अध्ययन शुरू नहीं किया है। जैसा कि आप जानते हैं, अब आपको हिन्दीका निःशुल्क अध्ययन कर सकनेका अवसर प्राप्त हो गया है, और मुझे आशा है कि आपमें से ज्यादासे ज्यादा लोग इस अवसरका लाभ उठायेंगे। फिलहाल आज तो मैं दूसरे ही सिलसिलेमें आया हूँ ।

 
  1. १. गांधीजीके इस भाषणका सभामें अंग्रेजीसे तमिलमें डॉ० टी० एस० एस० राजनने अनुवाद किया ।