पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/२००

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१७०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बालकों और उस वीरांगना बालिकाका अनुकरण करें । यदि आप और मैं कष्ट पा रहे हों, यदि हमारी सम्पति हमसे छीन ली जाये तो कोई चिन्ताकी बात नहीं; क्योंकि हम अपनी शान और राष्ट्रीय सम्मानकी रक्षा कर रहे हैं । आप इस संघर्षके बारेमें यहाँके नेताओंसे और भी बातें सुनेंगे । चूंकि यह एक शुद्ध धार्मिक लड़ाई है अतः हमने रविवार, अप्रैल ६ के दिन इसे आरम्भ करनेका निश्चय किया है। मैंने सुझाव दिया है कि उस दिन सब पुरुष, स्त्रियाँ, श्रमिक और धनवान, मतलब कि वह हर नरनारी जिनकी धमनियोंमें भारतीय रक्त है, २४ घंटेका उपवास करें । हम अपना सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ करेंगे और यह पूरी तरह एक धार्मिक आन्दोलन है । यह उपवास कोई दिखावा नहीं है, बल्कि सर्व-शक्तिमान से सच्ची प्रार्थना है कि वह हमें इन संघर्षोंसे गुजरते समय पर्याप्त और समुचित शक्ति तथा सद्बुद्धि प्रदान करे । मैंने यह भी सुझाव दिया है कि उस दिन हम कोई काम या कारोबार न करें । मुझे आशा है कि हमारे व्यापारी मित्र भी इस योजनामें हाथ बँटायेंगे । यदि उस रविवारको किन्हीं मजदूरोंको कामपर बुलाया जाये तो वे तभी काम रोकें जब उन्हें अपने मालिकोंसे उसकी अनुमति प्राप्त हो जाये । अपने मालिकोंके उचित आदेशोंकी अवज्ञा करना सविनय अवज्ञा आन्दोलनका ध्येय नहीं है । उस दिन हमें सभाएँ करनी चाहिए और इस आपत्तिजनक कानूनको रद करानेके लिए [सभाकी] कार्रवाइयोंकी रिपोर्ट वाइसराय और भारत सचिवको भेजनी चाहिए । हमारी प्रार्थना साधारण प्रार्थना मात्र नहीं होगी; उसके पीछे सत्याग्रहकी शक्ति होगी । मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि हममें से बहुत सारे लोग उपयुक्त और सच्ची भावनाके साथ इस संघर्षमें भाग लेंगे तो हम थोड़े ही समयमें इस कानूनको खत्म करवा दे

 

निष्कर्ष

नागापट्टनममें आपने मुझे निमन्त्रित किया, इसके लिए मैं हृदयसे आपको धन्यवाद देता हूँ। मेरी बातें धैर्यपूर्वक सुननेके लिए भी मैं आपको धन्यवाद देता हूँ । मद्रास प्रेसीडेंसी भरमें मुझपर जो गहरी स्नेहवर्षा की गई है उसका वर्णन करनेके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। भारतीयोंमें अगाध विश्वास रखना मैंने दक्षिण आफ्रिकामें सीखा । भारतके अन्य भागोंकी अपेक्षा आप लोगोंने भारतीय परम्पराको ज्यादा अच्छे रूपमें संरक्षित रखा है। आपको ईश्वरमें भी कहीं ज्यादा आस्था है । आप लोगोंको देखकर मुझे अपने महान् ऋषियोंकी याद आती है । मुझे विश्वास है कि वे लोग आपसे ज्यादा सादा जीवन नहीं व्यतीत करते रहे होंगे। लेकिन एक बात सरल है । जीवनके जिस बाह्य स्वरूपको आपने इतने सुन्दर ढंगसे सँजोकर रखा है, उसमें ऋषियों-जैसी आत्मा फूँकिए । तब आप इस देशमें एक शक्तिशाली लोग होंगे और देशकी गरिमाकी रक्षा करते हुए आप उसके भविष्यका निर्माण करेंगे। मैं आशा करता हूँ कि ईश्वर आपको ऐसा कर सकनेकी शक्ति प्रदान करेगा ।

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, ३-४-१९१९