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१७९. भाषण : चौपाटी, बम्बईकी सभा में[१]

अप्रैल ६, १९१९

ठीक आठ बजे गांधीजीका भाषण आरम्भ हुआ; चूँकि वे अस्वस्थ थे, उनका भाषण श्री जमनादास द्वारकादासने पढ़कर सुनाया ।

स्वदेशी व्रत

लिखित भाषण सुनाये जानेके पूर्व गांधीजीने कहा : जो लोग स्वदेशी व्रत लेना चाहते हैं वे रामनवमीके दिन प्रातःकाल स्नान करनेके पश्चात् लें। आजकी यह सभा स्वदेशी व्रतके लिए उपयुक्त अवसर नहीं है । यदि कुछ लोग यहाँ ऐसे हों जो यह व्रत लेना चाहते हों तो वे ले सकते हैं । स्वदेशी और बायकाटमें जमीन आसमानका अन्तर है, क्योंकि बायकाट एक प्रकारका दण्ड है और स्वदेशी व्रत एक धार्मिक कृत्य है । अगर आप लोग स्वदेशी व्रत लेनेके इच्छुक हैं तो आप पहले पर्याप्त सोच-विचार कर लें तब लें। मैं स्वयं एक पक्का स्वदेशी व्रतधारी हूँ। और कदाचित् उसका सबसे अधिक सख्ती से पालन करनेवाला । परन्तु यदि लोग इस विषयमें कदम उठाना चाहते हैं तो उन्हें सब बातोंपर अच्छी तरह गौर करनेके बाद ही ऐसा करना चाहिए। रामनवमीके दिन, यदि चाहें तो आप सब लोग स्वदेशी व्रत ले सकते हैं ।

श्री जमनादासने, गांधीजीके आदेशानुसार उनका प्रत्येक वाक्य क्रमशः दोहराया । तदुपरान्त उन्होंने गांधीजीका भाषण पढ़ना आरम्भ किया ।

गांधीजीने अपने भाषण में कहा :--

इस अवसरपर मैं यथासम्भव कमसे कम बोलना चाहता हूँ। यह अवसर हममें से अधिकांशके जीवनमें कदाचित् सबसे ज्यादा गम्भीर अवसर है। मैं जानता हूँ कि अगर भाषण बिलकुल दिये ही न जायें तो आजके इस महान् प्रदर्शनको और भी अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है । परन्तु भारतकी राजधानीमें गत रविवारको जो दुःखद घटना घटित हुई है, उसे दृष्टिसे ओझल नहीं किया जा सकता ।

हमारे पास उस घटनाके दो अधिकृत विवरण हैं, एक तो जनताकी ओरसे स्वामी श्रद्धानन्दजीका और दूसरा स्थानीय अधिकारियोंकी ओरसे सरकारका । दोनों विवरणों में अन्तर है । कुछ मुख्य मुद्दोंके बारेमें एक कुछ कहता है; दूसरा कुछ । निष्पक्ष आलोचक

  1. १. रौलट बिल पास हो जानेके परिणामस्वरूप यह दिन ईश्वर-प्रार्थना और शोक-दिवसके रूपमें मनाया गया था । समस्त बम्बई में मातम छाया हुआ था । सूर्योदयसे पहले ही चौपाटीपर चहल-पहल शुरू हो गई थी, लोग बहुत बड़ी संख्या में एकत्रित हो रहे थे। चौपाटीपर समुद्र-स्नान और सभा उस दिनके कार्यक्रमका पहला अंग था । गांधीजी ६-३० बजे सुबह चौपाटीपर आ गये थे । लगभग सौ सत्याग्रही उनके साथ थे । सभामें मुसलमान, हिन्दू तथा पारसी सभी जातियोंके लोग शामिल थे, एक अंग्रेज भी था ।