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भाषण : चौपाटी, बम्बईकी सभा में

आर्थिक स्थिति कैसी है और यह कि अगर उन परिवारोंको आर्थिक सहायता देनेकी जरूरत पड़ी तो क्या दिल्ली उसके लिए पर्याप्त साधन जुटा लेगी । मृत-बन्धुओंकी स्मृतिमें हमारा कमसे कम इतना फर्ज तो है ही कि जहाँतक आवश्यक हो वहाँतक उनके आश्रितोंका पालन-पोषण किया जाये। मेरे मनमें जरा भी सन्देह नहीं है कि अगर मदद माँगी गई तो बम्बईके धनाढ्य व्यक्ति दान देनेमें संकोच न करेंगे ।

साधारण प्रार्थना

दूसरे प्रस्तावमें भारत-सचिवसे यह सामान्य प्रार्थना की गई है कि वे कृपा करके सम्राट्को यह सलाह दें कि क्रांति और अराजकतागत अपराधोंसे सम्बन्धित कानून [ रिवोल्यूशनरी ऐंड अनार्किकल क्राइम्स ऐक्ट ] अस्वीकृत कर दिया जाये और ऐसी ही एक प्रार्थना परमश्रेष्ठ वाइसराय महोदयसे की गई है कि वे कृपा करके रौलट अधिनियम सं० १ को वापस ले लें। इस प्रार्थनाके हमराह उसके प्रभावमें वृद्धि करनेवाली दो अन्य वस्तुएँ भी रहेंगी; एक तो दिल्लीके निर्दोष व्यक्तियोंका रक्त और दूसरे हमारा यह संकल्प कि जबतक शासकोंके हृदय नहीं पिघलते और जबतक वे इस सिद्धान्तको मान्यता प्रदान नहीं करते कि प्रबुद्ध व्यक्तियोंके द्वारा सर्वसम्मतिसे व्यक्त की गई सार्वजनिक रायकी अवगणना, जैसी कि रौलट अधिनियमके बारेमें की गई है, न करेंगे तबतक हम सत्याग्रह करते हुए कष्टोंको झेलते रहेंगे ।

प्रस्ताव

इसके उपरान्त शान्तिके गम्भीर वातावरणमें दो प्रस्ताव पास किये गये:- (१) बम्बईके नागरिकोंकी यह सभा दिल्लीके लोगोंको अत्यन्त कठिन परिस्थितिमें आदर्श आत्म-नियन्त्रण दिखाने के लिए और संन्यासी स्वामी श्री श्रद्धानन्दजी तथा हकीम अजमलखाँको उनके प्रशंसनीय नेतृत्वके लिए साधुवाद देती है और उन निर्दोष पुरुषोंके परिवारोंके प्रति जिन्होंने स्थानीय अधिकारियोंके हुक्मसे चलाई गई गोलियोंसे अपने प्राण गँवाये, सम्मानपूर्वक अपनी समवेदना प्रकट करती है।

(२) बम्बईके नागरिकोंकी यह सभा परम माननीय भारत-सचिवसे सादर निवेदन करती है कि वे महामहिम सम्राट्को यह सलाह दें कि वे १९१९के क्रांति और अराजकतागत अपराधोंसे सम्बन्धित कानूनको अपनी स्वीकृति न देते हुए रद कर दें क्योंकि एक तो वह अपने-आपमें दूषित और नितान्त अनावश्यक है और दूसरे, वह एकमत से प्रकट की गई सार्वजनिक सम्मतिका तिरस्कार करते हुए पास किया गया था । यह सभा आदरपूर्वक वाइसराय महोदयसे प्रार्थना करती है कि वे १९१९के भारतीय दण्ड विधि संशोधन विधेयक सं० १ (क्रिमिनल लॉ एमेंडमेंट्स बिल सं० १) को वापस ले लें।

भाषण समाप्त हो जानेपर श्री गांधीने घोषणा की कि सब लोग एक जुलूसके-रूपमें माधव बाग मन्दिर चलेंगे और वहाँ प्रार्थना करेंगे। श्रीमती नायडू बीमार हैं; वे गाड़ीमें बैठकर घर जायेंगी ।

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