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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तदनन्तर जुलूस बनाया गया । किंचित् भी अतिशयोक्ति न करते हुए यह कहा जा सकता है कि समुद्रतटसे माधव बागतक जुलूस क्या था नर-नारियोंका अपार समूह था; जिसमें बीच-बीचमें और लोग भी आकर शामिल होते जाते थे। सड़कोंके दोनों ओर स्थित मकान असंख्य पुरुषों, स्त्रियों और बालकोंसे भरे हुए थे ।

नेताओंके चारों ओर स्वयंसेवकोंने घेरा बना लिया था, क्योंकि भीड़भाड़ बहुत ज्यादा थी। जुलूस धीरे-धीरे माधव बागकी ओर बढ़ा। श्री हॉर्निमैन अस्वस्थ थे; वे कठिनाईसे चल पा रहे थे। बहुत अधिक भीड़ हो जानेके कारण जुलूस माधव बाग बहुत देरी से पहुँचा । माधव बाग पहुँचनेपर लोग खुलेमें फैल गये और मन्दिरका पूरा अहाता खचाखच भर गया। श्री गांधी आये। उन्होंने प्रार्थना की। प्रार्थनाके उपरान्त उन्होंने लोगों से शान्तिपूर्वक अपने-अपने स्थानको वापस जानेको कहा और लोगोंने ऐसा ही किया।

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ७-४-१९१९

१८०. भाषण : हिन्दू-मुस्लिम मैत्रीपर

बम्बई
अप्रैल ६, १९१९

माधव बागमें प्रार्थना हो चुकनेपर श्री जमनादास द्वारकादासने एकत्रित लोगोंको बताया कि हमारे मुसलमान भाई ग्रान्ट रोडपर सभा करने जा रहे हैं; आप लोग उनके प्रति मैत्रीभाव प्रदर्शित करनेके खयालसे वहाँ जाइये...उस सभामें उपस्थित मुसलमानोंकी संख्या पाँच हजारसे कम न थी । यह सभा मस्जिदके सामनेवाले मैदान में की गई थी। जब हिन्दू लोग सभा-स्थलपर पहुँचे तब सभामें उपस्थित मुसलमानोंका वह बड़ा समुदाय उठ खड़ा हुआ और उसने अपने हिन्दू भाइयोंका हार्दिक स्वागत किया ... महात्मा गांधी, श्रीमती सरोजिनी नायडू, श्री जमनादास द्वारकादास तथा अन्य नेताओंको मस्जिदके छज्जेपर ले जाया गया और उन्हें वहाँ बैठाया गया। लोगों में बहुत उत्साह दीख पड़ रहा था ।

महात्मा गांधीने सभाके इस असाधारण दृश्यकी भी चर्चा की। उन्होंने मुसल- मानोंसे अनुरोध किया कि आप लोग बहुत बड़ी संख्यामें सत्याग्रहमें सम्मिलित हो जायें । उन्होंने कहा, सत्याग्रह बरगद के वृक्षके समान है, जिसकी जड़ें और शाखाएँ नीचे दूर तक फैली हुई हैं। आगे चलकर यह वृक्ष इतना विशाल हो जायेगा कि फिर संसारका कोई भी व्यक्ति उसको उखाड़ नहीं सकेगा । सत्याग्रह मनुष्यके जीवनका और आचरणका सारतत्त्व है । मुझे पूरा यकीन है कि भारतकी इन दो बड़ी जातियोंमें एकता