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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सकेगा । इसलिए मेरा निवेदन है कि भारतीय बहनोंको एक बड़ी संख्या में सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेना चाहिए।

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ७-४-१९१९

१८२. 'सत्याग्रही' - १

बम्बई
अप्रैल ७, १९१९

महात्मा गांधीने भारतीय प्रेस अधिनियमकी अवज्ञा करके सोमवारको जो अपंजीकृत अखबार 'सत्याग्रही' निकाला था, उसकी सामग्री इस प्रकार है :

(कृपया इसे पढ़ें, इसकी नकल कर लें और अपने मित्रोंमें प्रचारित करें; और उनसे भी इसकी नकल करने और उसे प्रचारित करनेकी प्रार्थना करें।

।) अंक - १

मूल्य एक पैसा

सत्याग्रही

(सम्पादक : मोहनदास करमचन्द गांधी, लैबर्नम रोड, गामदेवी, बम्बई ) हर सोमवारको सुबह १० बजे प्रकाशित

बम्बई अप्रैल ७, १९१९

ग्राहकोंको सूचना

यह पत्र कानूनके अनुसार पंजीकृत नहीं कराया गया है। इसलिए इसका वार्षिक चन्दा नहीं लिया जा सकता । यह गारंटी भी नहीं दी जा सकती कि पत्र बिना किसी रुकावटके छपता रहेगा । सम्पादक किसी भी क्षण गिरफ्तार किया जा सकता है । अतः जबतक हमारा देश इस स्थितिमें न आ जायेगा कि जो सम्पादक पकड़ा जाये, उसका स्थान लेनेके लिए नये सम्पादक बराबर तैयार रहें, तबतक यह भरोसा दिलाना भी असम्भव है कि यह पत्र नियमित रूपमें प्रकाशित होता रहेगा। वैसे हम इस बातके लिए कुछ भी उठा नहीं रखेंगे कि एकके-बाद-एक सम्पादक बराबर मिलते रहें ।

हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है कि हम समाचारपत्र-सम्बन्धी कानूनको सदा तोड़ते ही रहेंगे । इसलिए यह पत्र जबतक रौलट-कानून रद नहीं किये जाते, तभी- तक जारी रहेगा।

हमारा परिचय

'सत्याग्रही' क्या करेगा ? इस प्रश्नके उत्तरमें हमारा परिचय अच्छी तरह आ जाता है । रौलट - कानून रद कराने के उद्देश्यसे ही 'सत्याग्रही' ने जन्म लिया है। इसलिए इसका काम लोगोंको ऐसे उपाय बताना है जिनसे वे सत्याग्रहके सिद्धान्तोंके अनुसार आचरण करके ये कानून रद्द करा सकें । सत्याग्रहकी प्रतिज्ञा हस्ताक्षरकर्ताओंपर यह