और किसी तरहका प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। बार-बार यह कहनेकी जरूरत है कि हम कैदको निमन्त्रित करते हैं, और इसलिए जब हमें कैदकी सजा मिले, तो हम उसकी शिकायत न करें। एक बार जेलमें जानेपर हमें जेलके सभी नियमोंका पालन करना है, क्योंकि फिलहाल जेलमें सुधार कराना हमारी इस लड़ाईका भाग नहीं है । दूसरे मामूली कैदी जैसी गुप्त कार्रवाइयाँ करनेके अपराधी पाये जाते हैं, वैसी किसी भी किस्मकी गुप्त कार्रवाईका आश्रय सत्याग्रही हरगिज न लें। सत्याग्रही जो कुछ कर सकता है वह खुल्लम-खुल्ला ही कर सकता है, और उसे ऐसा ही करना चाहिए।
बॉम्बे क्रॉनिकल,९-४-१९१९
१८४. वक्तव्य : सत्याग्रह-सभाकी ओरसे'
[ अप्रैल ७, १९१९]
सत्याग्रह - सभाने निम्नलिखित वक्तव्य जारी किया है :
सत्याग्रह - प्रतिज्ञा के अनुसार स्थापित समितिका परामर्श है कि फिलहाल निषिद्ध साहित्य और समाचारपत्र पंजीयन सम्बन्धी कानूनोंकी सविनय अवज्ञा की जाये । समितिने निषिद्ध साहित्यके सिलसिलेमें निम्नलिखित निषिद्ध रचनाओंको[१] प्रचारके लिए चुना है :
हिन्द स्वराज्य '-- मो० क० गांधी ।
'सर्वोदय' या 'यूनीवर्सल डॉन' -- मो० क० गांधी । ( 'अन्टु दिस लास्ट 'का भाषान्तर ) ।
'द स्टोरी ऑफ ए सत्याग्रही डेथ ऑफ सॉक्रेटीज' का भाषान्तर ) । मो० क० गांधी । (प्लेटो कृत 'द डिफेंस ऐंड
'द लाइफ ऐंड एड्रेस ऑफ मुस्तफा कमाल पाशा' (इंटरनेशनल प्रिंटिंग प्रेस द्वारा मुद्रित ) । समितिने यह चुनाव इन बातोंको ध्यानमें रखते हुए किया है :
(१) शासकों और शासितोंमें यथासम्भव कमसे कम गड़बड़ी हो;
(२) जबतक सत्याग्रही नाजुक और संगठित आन्दोलनोंका भार सँभालने लायक परिपक्व, अनुशासित और समर्थ नहीं बन जाते, तबतक केवल उन कानूनोंको चुना जाये जिनकी अवज्ञा व्यक्तिगत ढंगसे की जा सकती हो।
(३) प्रारम्भमें ऐसे कानूनोंको चुना जाये जिनके प्रति जनताने अपनी असहमति जाहिर की है और सत्याग्रहकी दृष्टिसे जिनपर सबसे अधिक आपत्तिकी जा सकती है ।
- ↑ बम्बई सरकारने मार्च, १९१० में इन प्रकाशनोंको “राजद्रोहपूर्ण सामग्री " करार देकर निषिद्ध कर दिया था; देखिए खण्ड १०, पृष्ठ २६१ ।