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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तो केवल बड़े समूहोंसे व्रत लिवानेके बारेमें ही है । हम व्रत लें, तो मेरी रायकेअनुसार वह इस प्रकार होना चाहिए :

"हम ईश्वर—खुदाको हाजिर जानकर प्रतिज्ञा लेते हैं कि हम हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरेको सगे भाइयोंकी तरह मानकर दोनोंमें जरा भी भेदभाव नहीं रखेंगे, एक-दूसरेके दुःखमें दुःखी होंगे और उसमें अपनी शक्तिके अनुसार पूरा भाग लेंगे। हम एक-दूसरेके धर्मका किसी भी प्रकार विरोध न करेंगे, एक-दूसरेकी धार्मिक भावनाओंको नहीं दुखायेंगे, एक-दूसरेके धर्मके पालनमें दखल नहीं देंगे और एक-दूसरेके साथ आदरपूर्वक व्यवहार करेंगे और धर्मके बहाने कभी एक-दूसरेकी हत्या नहीं करेंगे ।

[ गुजरातीसे ]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५

१९१. तार : सो० आर० दासको

[ बम्बई ]
अप्रैल ८, १९१९

सी० आर० दास [१]
कलकत्ता

आगेकी उपस्थित गतिविधि बाह्य परिस्थितिपर निर्भर है । पन्द्रह तारीखको होनेका प्रयास करूँगा । अखबारोंमें डाले, शामको लिया समाचार है रविवारको प्रदर्शनकारी किसी बातपर उत्तेजित होकर ब्रिस्टल होटलकी तरफ झपटे और पत्थर फेंककर खिड़कियोंके शीशे तोड़ कोमटोलामें भीड़ने उड़िया अभियुक्तको पुलिसकी हिरासतसे छुड़ा और पुलिसपर जोरका हमला किया । कृपया तार द्वारा सही स्थिति बतलाइये । बतलानेकी जरूरत नहीं कि सत्याग्रहको खतरा बाहरसे नहीं हमेशा अन्दरसे ही रहता है । जबरदस्त प्रलोभन उत्तेजनाकी परिस्थितिमें पड़कर अहिंसाके पथसे डिगनेसे सारा आन्दोलन विफल हो जायेगा । काबू न कर सकें जुलूसों और बड़े-बड़े मजमोंसे अनिवार्यतः दूर रहें इस परम विश्वासके साथ सत्याग्रहियोंका छोटेसे-छोटा दल भी विजय प्राप्त करेगा । सत्याग्रह, सत्य और जबतक और

कि

  1. देशबन्धु चित्तरंजन दास (१८७०-१९२५ ); १९२२ में गया कांग्रेसके अध्यक्ष; १९२३ में स्वराज्य पार्टीकी स्थापना की ।