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१९५. पत्र : सर इब्राहीम रहीमतुल्लाको

[ बम्बई
अप्रैल ८, १९१९]

प्रिय सर इब्राहीम रहीमतुल्ला,[१]

मेरे खयालसे यह कहा जा सकता है कि इतवारको सब कुछ बहुत अच्छी तरह निपट गया। क्राफर्ड मार्केटके पास हिन्दू-मुसलमानोंका एक मिला-जुला जुलूस निकला। जुलूसमें भाग लेनेवाले कुछ लोगोंपर हमला हुआ और उनको चोटें आईं। घटना यों गम्भीर नहीं है; फिर भी मेरा खयाल है कि जुलूसके किसी भी आदमीका कोई दोष नहीं था; हालांकि पुलिस कमिश्नरका कहना है कि लोगोंने डिप्टी कमिश्नरके आदेशका पालन नहीं किया था। मैंने जिन सम्माननीय सज्जनसे घटनाका विवरण सुना वे जुलूस में भाग लेनेवालोंको सर्वथा निर्दोष ठहराते हैं। मैं ग्रिफिथके नाम अपने पत्रकी एक प्रति और उस पत्रके साथ भेजी गई प्रमुख व्यक्तियोंके बयानकी प्रतिकी भी एक नकल आपके पास भेज रहा हूँ। आप उससे खुद समझ लेंगे कि यदि इन सज्जनों द्वारा बतलाये गये तथ्य सही हैं तो पुलिसका कुछ-न-कुछ दोष तो अवश्य है।

मैं आज दिल्ली जा रहा हूँ। मुझे वहाँसे लौटनेमें कुछ दिन लग जायेंगे, इसलिए यदि आप कुछ और जानकारी हासिल करना जरूरी समझेंगे तो मैं लौटनेपर ही उसे मुहैया कर सकूँगा। उक्त पत्र लिखने और नेताओंसे जानकारी इकट्टी करनेका मेरा मकसद यह है कि जब शिकायतकी बिलकुल गुंजाइश न हो तब दोष लोगोंके सिरपर नहीं मढ़ा जाना चाहिए। और 'चोरी तिसपर सीनाजोरी' वाली बात चरितार्थ नहीं होनी चाहिए।

यदि आप चाहें तो यह पत्र गवर्नर महोदयको दिखला सकते हैं। मैं इस कष्टके लिए आपसे क्षमा-प्रार्थी हूँ।

गुजराती पत्र (एस० एन० ६५०७) की फोटो - नकलसे।

१९६. तार : ओ० एस० घाटेको

अप्रैल ९, १९१९

ओ० एस० घाटे
छिन्दवाड़ा

कार्याधिक्यके कारण लिखनेका समय नहीं। दिल्ली जा रहा हूँ। वहाँसे ब्यौरेवार रायके साथ महत्त्वपूर्ण पत्र भेजूँगा।

महादेव देसाईके स्वाक्षरोंमें अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६५११) की फोटो - नकलसे।

  1. १. गवर्नरको कार्यकारिणी परिषद्, बम्बईके सदस्य।