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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैं आशा रखता हूँ कि हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई, पारसी, यहूदी और दूसरे सभी लोग, जिन्होंने हिन्दुस्तानमें जन्म लिया है और जिन्होंने भारतको स्वदेशके रूपमें अपना लिया है, इन राष्ट्रीय व्रतोंमें पूरी तरह भाग लेंगे; और मुझे यह भी आशा है कि इसमें स्त्रियाँ पुरुषोंसे जरा भी पीछे नहीं रहेंगी।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, १०-४-१९१९

१९८. पंजाब सरकारकी पाबन्दीका उत्तर[१]

अप्रैल १०, १९१९

मुझे खेदके साथ कहना पड़ता है कि मैं आपके उपर्युक्त आदेशका पालन नहीं कर सकूंगा।

मोहनदास करमचन्द गांधी

मूल अंग्रेजी आदेश (एस० एन० ६५१३) की फोटो- नकलसे ।

१९९. पत्र : एस्थर फैरिंगको

गिरफ्तारीकी हालतमें बम्बई जाते हुए
अप्रैल १०, १९१९

मेरी प्यारी बच्ची,

तुम्हारा बैंक नोट मुझे मिल गया है। आशा है कि तुम अपने-आपको आवश्यक वस्तुओंसे वंचित नहीं कर रही हो। तुम्हारा बैंक नोट मैं आश्रमको दे रहा हूँ। ठीक है न?

मुझे कल रात दिल्ली जाते हुए पंजाबमें प्रवेश न करनेका एक आदेश मिला। मैंने वहीं और उसी समय उसकी अवज्ञा की और मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। उसके बाद मुझे दो आदेश और दिये गये - एक तो दिल्ली प्रान्तमें प्रवेश न करने और दूसरा बम्बईकी सीमामें ही रहनेका था। अब वे मुझे बम्बई ले जा रहे हैं। यदि वे मुझे छोड़ देंगे तो मैं तुरन्त ही नजरबन्दीके आदेशका उल्लंघन करूँगा। आज मैं शायद संसारका सबसे सुखी जीव हूँ। पिछले दो महीनोंके दौरान मुझे अपार स्नेह मिला। और अब देख रहा हूँ कि हालांकि मेरे मनमें किसीके भी प्रति दुर्भाव नहीं है और भारतमें शान्ति बनाये रखने में जितना में सफल हो सकता हूँ उतना अन्य कोई नहीं हो सकता,

  1. १.गांधीजीने उसी आदेशपर अपने हाथसे यह उत्तर लिख दिया था । आदेशके पाठके लिए देखिए पाद-टिप्पणी २, पृष्ठ २१४।