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तार : स्वामी श्रद्धानन्दको


फिर भी मुझे गिरफ्तार कर लिया गया है। मुझे जेलमें भेजनेसे लोगोंके सामने गलत काम करनेवालेका सच्चा रूप ही प्रकट होगा । मेरी आत्मा शान्त और अविचलित है, इसलिए इससे मुझे कोई हानि नहीं पहुँच सकती।

तुमको इस बातकी प्रसन्नता होगी कि तुम्हारा एक मित्र ऐसा है जिसे ईश्वरने उन लोगोंको भी प्यार करनेकी शक्ति दी है जो अपनेको उसका शत्रु बतलाते हैं और जो कष्ट सहन करनेमें खुशी मनाता है। यह मैं इसलिए कह रहा हूँ कि मैं नहीं चाहता कि तुम मेरी सम्भावित जेल-यात्रापर अपना मन दुःखी करो। मेरे ऊपर निगरानी रखनेवाला अफसर बड़ा ममतालु है और मेरा बड़ा खयाल रखता है।

महादेव यदि अभी कुछ दिनों तक जेलसे बाहर रहा तो तुमको विस्तारसे लिखेगा।

सस्नेह,

सदा तुम्हारा,
बापू

[ पुनश्चः ]

मैंने मद्रास से बम्बई जाते हुए तुमको बेजवाड़ा या अन्य किसी स्थानसे [१]पत्र लिखा था। क्या तुमको वह मिल गया है ?

बापू

[ अंग्रेजीसे ]
माई डियर चाइल्ड

२००. तार : स्वामी श्रद्धानन्दको

अप्रैल ११, १९१९

हिरासतसे छूटकर अभी-अभी आया हूँ।[२]... और बातें बादमें। कुछ जगहों पर जानें गईं, इसका अफसोस। लोगोंका अपने पर नियन्त्रण रखना और हिंसा से बचना बिलकुल जरूरी। यह बात लाहौर अमृतसर इत्यादिमें कहें।

गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
पंजाब अनरेस्ट - बिफोर ऍड आफ्टर


5063 ગ્રંથાય.

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  1. १. सिकन्दराबाद, देखिए " पत्र : एस्थर फैरिंगको ", १-४-१९१९
  2. २. बम्बई में।