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२०५. भाषण : वस्त्र-विक्रेताओंको सभामें

बम्बई
अप्रैल १२, १९१९

देशमें पिछले हफ्ते कई स्थानोंपर होनेवाले उपद्रवोंके समाचार से महात्मा गांधीको काफी क्षोभ हुआ था। उन्होंने अहमदाबादके लिए रवाना होनेसे पहले अपनी ओरसे ही बुलाई गई वस्त्र-विक्रेताओंकी एक सभामें भाग लिया था और उसमें जनतासे बड़ी सच्ची भावनासे हिंसापूर्ण कार्योंसे दूर रहने की अपील की थी। साथमें, उन्होंने कहा कि उपद्रवोंके समाचारसे उनको बहुत पीड़ा पहुँची है। यह तो नहीं है कि उनकी गिरफ्तारीसे सत्याग्रहका काम बन्द हो जाता; जनताको उपद्रव नहीं करने चाहिए थे। यदि वे दिल्ली रवाना हों और उनको फिरसे गिरफ्तार भी कर लिया जाये तो कोई उपद्रव नहीं होने चाहिए। लोगोंको सत्याग्रहकी सच्ची भावनाके अनुरूप कष्ट सहनके लिए तैयार रहना चाहिए। यदि कहीं हड़ताल भी हो, तो हड़तालमें शामिल न होने वालों पर कोई जोर या दबाव नहीं डाला जाना चाहिए। सभी लोगोंके प्रति सद्भावनाकी दृष्टि रखनी चाहिए।

श्री गांधीके सुझावपर प्रमुख व्यक्तियोंकी एक समिति नियुक्त की गई, जो कपड़ा बाजार और आसपासके हल्कोंमें व्यवस्था बनाये रखने में सहायता करनेके लिए स्वयंसेवक भरती करेगी। इसके पश्चात् महात्मा गांधी कई अन्य संस्थाओंमें गये और उन्होंने वहाँ भी रौलट विधेयकोंके विरुद्ध संघर्षको सत्याग्रहकी सच्ची भावनाके अनुरूप चलानेकी बात पर जोर दिया। उन्होंने मारवाड़ी संघमें आयोजित एक और सभामें भी भाग लिया। वहाँ अहमदाबादमें हुए उपद्रवोंका समाचार सुनकर वे बहुत ही विचलित हो गये और उनसे कुछ कहते भी नहीं बना। अगले दिन उन्होंने भोजन तक नहीं किया। उनको उसी रात मोरारजी गोकुलदास हॉलमें भी एक सभामें भाषण करना था, लेकिन बम्बई से अहमदाबादके लिए चल पड़नेके कारण वे वहाँ नहीं जा पाये। उनकी अनुपस्थितिमें श्री जमनादास द्वारकादासने ही शान्तिपूर्ण और व्यवस्थित ढंगसे संघर्ष चलानेके बारेमें सभाके समक्ष गांधीजीके सुझाव पेश किये।

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल, १५-४-१९१९