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२१३. पत्र : सर इब्राहीम रहीमतुल्लाको



आश्रम
साबरमती
अप्रैल १५, १९१९

प्रिय सर इब्राहीम रहीमतुल्ला,

अपने स्वभाव के विपरीत में यह पत्र आपको अंग्रेजीमें लिख रहा हूँ,

क्योंकि मैं चाहता हूँ कि आप इसे परमश्रेष्ठको ध्यानपूर्वक पढ़ने और विचार करनेके लिए दे दें। शायद आप जानते हैं कि मैं अनसूयाबेनके साथ इतवारको अहमदाबाद पहुँच गया था। सत्याग्रह आश्रम यद्यपि शहरसे बहुत दूर है, फिर भी कल वहाँ एक बहुत बड़ी सभा हुई। अनुमान किया जाता है कि उसमें १० हजारसे लेकर १५ हजार तक लोग जरूर आये होंगे। अहमदाबादमें फिर पूरी शान्ति हो गई है और यद्यपि यह बात मुझे अपने बारे में कहनी पड़ रही है, फिर भी मैं इतना अवश्य कहना चाहता हूँ कि यह आकस्मिक शान्ति, पूरी तरह नहीं तो अधिकतर, अनसूयाबेन और मेरी उपस्थितिके कारण हुई है। मैं इस पत्रके साथ अपने गुजराती भाषणकी नकल और उसका अंग्रेजी अनुवाद भी, जो मेरी देखरेख में तैयार किया गया है, भेज रहा हूँ। मेरी अपीलके जवाबमें धन आने लगा है और हजारों लोगोंने उपवास रखा है । मैंने कलक्टरको पत्र[१]लिखा है जिसमें मैंने उनसे उन अंग्रेजोंके नाम व उनके परिवारोंका पता पूछा है, उपद्रवियोंके अत्याचारसे जिनकी जानें गई हैं या जो अपंग हो गये हैं। मुझे पता चला है कि ऐसे लोग २ या ३ से ज्यादा नहीं हैं। यह प्रसन्नताकी बात है। किन्तु इस पत्रको लिखनेका मेरा मुख्य उद्देश्य यह सुझाव देना है कि अब आगे कोई दण्डात्मक कार्रवाई न की जाये और इस दुःखद घटनाके सम्बन्धमें कोई भी मुकदमे न चलाये जायें। गिरफ्तारियाँ करने और मुकदमे चलाने से फिर उत्तेजना ही पैदा होगी। मेरी नम्र राय यह है कि जब उपद्रव समस्त भीड़ने किये थे तब केवल कुछ लोगोंके मत्थे तमाम दोष मढ़कर उन्हें सजाएँ देना हद दर्जेकी राजनीतिक अदूरदर्शिता और अबुद्धिमत्ता होगी। मैंने आज सरकारी अस्पतालमें भरती तमाम आहत जनोंको देख आनेका दर्दनाक कर्त्तव्य पूरा किया; मैं वहाँ छोटे-छोटे बच्चोंके पास भी गया। मुझे पता चला है कि कमसे कम २२ आहत व्यक्ति जख्मोंके कारण मरे हैं; परन्तु मार्शल लॉ [ की अवधि ] में मारे गये, लोगोंकी ठीक-ठीक संख्या शायद कभी नहीं मालूम हो सकेगी, क्योंकि मुझे बताया गया है कि कुछ शव तो वास्तवमें अहम- दाबादकी पोलोंमें[२]जला दिये गये थे। मैं कहना केवल यही चाहता हूँ कि अहमदाबादको पर्याप्त कठोर दण्ड दिया जा चुका है।

  1. १. देखिए "पत्र : जी० ई० चैटफील्डको", १५-४-१९१९ । २, सँकरी गलियौं।
  2. २.सकँरी गलियाँ।