पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/२६९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२३९
सत्याग्रह माला - ४

 इसलिए मेरे सुझाव ये हैं : सरकारको चाहिए कि वह सत्याग्रहको सुधारकके शस्त्रा-गारका एक मूल्यवान अस्त्र माने । उसे सर्वश्री मुहम्मद अली और शौकत अलीका सहयोग प्राप्त करना चाहिए जो जहाँतक मैं जानता हूँ जितने योग्य हैं, उतने ही ईमानदार एवं अनुभवी हैं; उनके सहयोगसे इस्लामके प्रश्नोंको इस प्रकार सुलझाना चाहिए कि समस्त समझदार मुसलमान जनताको सन्तोष हो सके । सुधारोंके बारेमें कोई आश्वासन देनेवाली घोषणा होनी चाहिए और रौलट कानून वापस ले लिये जाने चाहिए । जबतक कि ये बातें नहीं की जातीं, मैं मानता हूँ कि भारतमें किसी प्रकारकी शान्ति सम्भव नहीं है। आज भारतमें भावनाके बैरोमीटरका संकेत-चिह्न थोड़ेसे भी वातावरणके दबाव या राजनीतिक क्षेत्रमें फेरफारसे चढ़ता-उतरता रहता है । यदि कहीं आप मेरे सुझावोंको मान जायें, तो मुझे विश्वास है कि आप उनको मनवानेके लिए यथासम्भव अपने खास ढंगसे प्रयत्न करेंगे ही। मैं इतना और कह दूँ कि इनमें से अधिकतर सुझाव मैंने वाइसरायके पास पहुँचा दिये हैं और जो स्थानीय तौरपर काममें लाये जा सकते हैं उन्हें बम्बईके गवर्नरके पास भेज दिया है ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

टाइप की हुई अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६५३४) की फोटो नकलसे। भाइयो और बहनो,

२१५. सत्याग्रह माला-४

[ अप्रैल १६, १९१९][१]

भाइयो और बहनो,

सोमवारको सत्याग्रह-आश्रम में मैंने आपके सामने जो भाषण दिया था उसमें उस समय मैं अपनी बात अधिक विस्तारसे नहीं कह सका था । परन्तु थोड़ी-सी पत्रिकाओं द्वारा मैं अपने विचार लोगोंके सामने प्रकट करना चाहता हूँ। पहले तो आपको हिसाब देना चाहता हूँ । मेरे द्वारा सुझाये गये कोषमें, कलतक मेरे पास ७७०) आ चुके हैं । मेरा अनुरोध है कि इस चन्देके बारेमें जरा भी ढिलाई न होनी चाहिए और अहमदाबादमें किसीको भी अपने कर्त्तव्यमें चूकना नहीं चाहिए । इस कोषकी स्थापना तो प्रायश्चित्तके विचारसे हुई है । परन्तु यह कोष प्रायश्चित्त के लिए जितना इष्ट है, उतना ही लोको- पयोग के लिए जरूरी है । कल में पूज्य अनसूयाबेन तथा भाई कृष्णलाल देसाईके[२]साथ अस्पताल में सब पीड़ितोंसे मिल आया । सबके साथ बातचीत की। और मैं देखता हूँ कि हमें बहुत-से घायल हुए मनुष्योंके परिवारोंकी सहायता करनी पड़ेगी । मृत्युको प्राप्त हुए बाईस मनुष्योंका पता तक नहीं लगा। इनके सिवा और मौतें भी तो हुईं हैं। इसलिए नागरिकके नाते हमारा स्पष्ट दायित्व है कि हम मृत व्यक्तियोंके परिवारोंको ढूँढ निकालें

  1. १. देखिए महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५।
  2. २. अहमदाबाद उच्च न्यायालयके वकील।