पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/२८६

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२३०. पत्र : एफ० जी० प्रैटको

[ साबरमती
अप्रैल २४, १९१९][१]

प्रिय श्री प्रैट,

मैं देखता हूँ कि मेरी किसी असावधानी के कारण पिछले तीन पत्रकोंकी प्रतियाँ आपको नहीं मिलीं। मैं जानता हूँ कि मेरी इस अनजाने गई भूलके लिए आप की मुझे क्षमा कर देंगे। शायद आप उन्हें पहले ही देख चुके। मैं आपको प्रत्येक पत्रककी कुछ प्रतियाँ इस पत्रके साथ भेज रहा हूँ। आज मैं बम्बई जा रहा हूँ । सोमवारको लौटनेकी आशा करता हूँ। बम्बई जाते समय बीचमें कुछ घंटोंके लिए नडियाद रुकूँगा।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६५६३) की फोटो नकलसे।

२३१. सत्याग्रह माला

[ अप्रैल २५, १९१९][२]

सत्याग्रह क्या है ?

पहली पत्रिकामें[३]मैं सूचित कर चुका हूँ कि हम किसी पत्रिकामें इसका विचार करेंगे कि सत्याग्रह क्या है । 'सत्याग्रह' नया शब्द है, परन्तु वह जिस तत्त्वका सूचक है, वह अनादि है । सत्याग्रहका शब्दार्थ तो इतना ही है:सत्यका आग्रह और इस आग्रहसे उत्पन्न बल । इस समय [हम ] सत्याग्रहका एक शक्तिके रूपमें प्रयोग कर रहे हैं। अर्थात् सत्यका आग्रह करनेसे उत्पन्न होनेवाली शक्तिका हम रौलट कानून रूपी संकट का निवारण करनेके लिए प्रयोग कर रहे हैं । सत्य ही धर्म है, यह एक सिद्धान्त है । प्रेम ही धर्म है, यह दूसरा सिद्धान्त है । धर्म कोई दो नहीं होते। इसलिए सत्य ही प्रेम और प्रेम ही सत्य है। अधिक विचार करने बैठें, तो हमें मालूम हो जायेगा कि प्रेमके बिना सत्यका आचरण असम्भव है, इसलिए सत्यकी शक्ति प्रेमकी ही शक्ति

  1. १. " पत्र : जी० ई० चैटफील्डको ", २४-४-१९१९ तथा इस पत्रका विषय एक होनेसे लगता है कि दोनों पत्र एक ही दिन लिखे गये थे।
  2. २.इंडियन रिव्यूके अनुसार यह पत्रिका २५ अप्रैलको प्रकाशित हुई थी।
  3. ३. देखिए “ सत्याग्रह माला - ४, १६-४-१९१९।