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सत्याग्रह माला - ८

पुरुषोंमें उनका प्रचार करें और उसके लिए जितना समय दे सकें उतना दें। ऐसा करते हुए हम कुछ समयमें ही लोगोंको इन सिद्धान्तोंसे परिचित करा सकेंगे। किसीको यह नहीं समझना चाहिए कि मैंने जो बात कही है, उसे अमलमें लानेमें एक जमाना लग जायेगा । मेरा विश्वास है कि हम अपना कार्य शीघ्रतासे कर सकते हैं। केवल लोगों में इतनी ही सन्मति उत्पन्न होनेकी जरूरत है कि जो भारतीय इस प्रवृत्तिमें योग दे वह खून-खराबीमें भाग न ले ।

[ गुजरातीसे ]

गुजराती, ४-५-१९१९

२३६. सत्याग्रह माला - ८

बम्बई
अप्रैल २८,[१] ।१९१९

बम्बईको श्री हॉर्निमैनका असह्य वियोग सहना पड़ा है फिर भी वहाँ शान्ति बनी हुई है, इसे मैं सत्याग्रहके लिए शुभ लक्षण मानता हूँ । इसी प्रकार जब सरकार हमारे दूसरे साथियोंको पकड़ ले, मुझे भी पकड़ ले, उस समय भी मैं चाहता हूँ कि सब पूरी तरह शान्ति रखें । सरकारको जिसपर सन्देह हो, उसे पकड़नेका उसे अधिकार है। इसके सिवा हमारी इस लड़ाईमें, अपनी आत्माके समक्ष हम निर्दोष हों, तो भी, पकड़ा जाना और जेल जाना तो हमारा स्वीकृत सिद्धान्त है । इसलिए किसी भी सत्याग्रहीकी गिरफ्तारीके समय हम क्रोध कैसे कर सकते हैं? हमें तो यह जानना चाहिए कि जितनी ही जल्दी निर्दोष मनुष्योंकी धरपकड़ होगी, उतनी ही जल्दी लड़ाईका अन्त आयेगा ।

कुछ लोगोंको मैंने यह कहते सुना है कि सत्याग्रहमें भी अन्तमें तो रक्तपातसे ही छुटकारा होता है । वे कहते हैं कि सत्याग्रहियोंके पकड़े जानेसे लोग उत्तेजित होते हैं, मारपीट करते हैं और ऐसा करके न्याय प्राप्त करते हैं । यह तो केवल भयंकर अन्धविश्वास है। सच बात तो इससे उलटी है । सत्याग्रहियोंके पकड़े जानेसे अहमदाबादमें जो हिंसात्मक घटनाएँ हुईं, उसका परिणाम हम देख चुके । वहाँके लोग आतंकसे दबा दिये गये हैं। जिस गुजरातमें कभी सेना नहीं रहती थी, वहाँ अब वह पाई जाती है । मेरा निश्चित विश्वास है कि सत्याग्रहकी विजय शुद्ध सत्यके पालन से ही, किसीको भी हानि पहुँचाये बिना और स्वयं दुःख उठाकर ही, प्राप्त हो सकती है । दक्षिण आफ्रिका, खेड़ा, चम्पारन आदिका मेरा अनुभव इस बातको अच्छी तरह साबित कर देता है । जबतक हम यह सत्य न समझ लें, तबतक हम सत्याग्रह करनेके जरा भी योग्य नहीं बन सकते । प्रश्न उठता है : तब हम अब क्या करें ? श्री हॉर्निमैन निर्वासित हो गये और तब भी क्या हम चुपचाप हाथपर हाथ धरे बैठे

  1. १. अप्रैल २७; देखिए महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५