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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

रहें ?” मेरा जवाब यह है कि भाई हॉर्निमैनके वियोगका दुःख हम अपनी इस शान्तिके द्वारा ही व्यक्त कर रहे हैं। हमारी यह शान्ति ही हमारी एक बड़ी हलचल है । इसके द्वारा ही हम अपनी मुराद पूरी करेंगे और शीघ्र ही अपने बीच भाई हॉनि मैनका स्वागत करेंगे। हिन्दुस्तान जब इस सत्याग्रहकी लड़ाईमें केवल सत्य और अहिंसा पर ही आधार रखनेका आदी हो जाये, तब हम सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू कर सकते हैं। कुछ लोग कहते हैं, “भारतको सत्य और अहिंसाका मन्त्र अपनानेमें तो वर्षों लगेंगे इसलिए क्या हमारी लड़ाईको भी सफलतापूर्वक समाप्त होनेमें वर्षों लगेंगे ?" मैं इतना ही कहना चाहता हूँ कि जब सत्य और अहिंसाकी शक्ति प्रकट होती है, तब उसकी गति इतनी तीव्र होती है कि उसे करोड़ों व्यक्तियोंमें व्याप्त होते देर नहीं लगती। ऐसा होनेके लिए जो जरूरत है, वह इतनी ही है कि लोगोंके हृदयपर सत्य और अहिंसाकी छाप पड़ जाये और उन्हें सत्य और अहिंसाकी शक्तिपर विश्वास हो जाये। यदि सत्याग्रही सच्चे हों, तो इसमें हमें महीने दो महीनेसे ज्यादा कभी नहीं लगने चाहिए।

ऊपर कहे अनुसार सत्य और अहिंसाका प्रसार अत्यन्त वेगसे हो सके, इसके लिए मैं नम्रतापूर्वक निम्नलिखित सलाह देता हूँ । प्रत्येक देशके महान् आन्दोलन अपनी सफलताके लिए मुख्यतः व्यापारी-वर्गपर निर्भर करते हैं । बम्बई व्यापारके क्षेत्रमें हिन्दुस्तान ही नहीं संसारमें महान् स्थान रखता है । बम्बईके व्यापारी असत्य और असत्यसे उत्पन्न होनेवाले दोष दूर करके, भले ही थोड़ा लाभ हो या हानि हो तो उसे भी सहन करके अपने व्यापारमें ईमानदारी दाखिल कर दें, तो सत्यको कितना वेग मिल जाये। इसके बराबर सम्मान श्री हॉर्निमैनका हम क्या कर सकते हैं? हमारी जीतका पासा सत्यपर निर्भर है, इसलिए व्यापारमें ही सत्य प्रवेश करे, तो असत्यके दूसरे किले सर करना तो बायें हाथका खेल रह जाये। मुझे विश्वास है कि बम्बईके व्यापारियोंके लिए, जिनके मनमें श्री हॉर्निमैनके प्रति बहुत आदरभाव है, मेरी सलाह के अनुसार चलना कठिन नहीं है । यदि हम सरकारपर अपनी सचाईकी छाप डाल सकें और अहिंसाका पालन करके उसे अभयदान दे सकें, तो मेरा विश्वास है कि हमें कानूनोंकी सविनय अवज्ञा करनेकी भी झंझट नहीं करनी पड़ेगी ।

मो० क० गांधी

[ गुजरातीसे ]

महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५