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२३७. सत्याग्रह माला - ९

बम्बई
अप्रैल २८, १९१९

भाइयो और बहनो,

मैं मित्रोंसे बराबर सुनता रहता हूँ कि लोगोंका खयाल है कि श्री हॉर्निमैनके निर्वासन के प्रति लोकभावना प्रकट करनेके लिए कुछ-न-कुछ रास्ता ढूंढना ही चाहिए। यह इच्छा बहुत स्वाभाविक है । परन्तु मैं पहले ही बता चुका हूँ[१]कि हमने जो शान्ति रखी, उसीके द्वारा यह भावना खूब स्पष्ट रूपसे बता दी है । और लोग इस चीजको समझ भी गये हैं । मेरी खास राय है कि जहाँ सत्याग्रह चल रहा हो, वहीं इतनी शान्ति रखी जा सकती है। मेरी मान्यता है कि सत्ताधारी भी नगरमें व्याप्त गम्भीर शान्ति देखकर आश्चर्य चकित हो रहे हैं; होंगे ही। सरकार समझती है कि श्री हॉनिमैनके प्रति लोगोंकी भावना बहुत तीव्र है। यह भावना कहीं उमड़कर टेढ़े रास्ते न चली जाये, इसलिए सरकारने सेनाका जबरदस्त इन्तजाम कर रखा है। इस सेनाको कुछ काम नहीं करना पड़ा है, यह बम्बईके लिए बड़े श्रेयकी बात है, सत्याग्रहकी बहुत बड़ी विजय है । लोग प्रत्येक अवसरपर इसी प्रकार अपनी शान्तिका परिचय देते रहें, तो मुझे जरा भी शक नहीं कि देश बहुत प्रगति कर सकता है । कोई यह न मान ले कि हम श्री हॉर्निमैनको वापस लानेके उपाय नहीं कर रहे हैं अथवा आगे नहीं करेंगे। सब उपायोंमें बड़ा उपाय अभी जो शान्ति हम रख रहे हैं, वह है । इतनेपर भी मैं लोगोंको एक सुझाव देना चाहता हूँ कि जिन्हें हड़ताल करना अत्यन्त प्रिय हो, वे अपना एक दिनका नफा सार्वजनिक कार्यके लिए दें, यह हड़तालके बराबर ही है।

किन्तु इस पत्रिकामें जो मुख्य बात मैं बताना चाहता हूँ, वह यह है : अबतक जो आन्दोलन हुए हैं, उनमें और सत्याग्रहमें उतना ही बड़ा फर्क है, जितना उत्तर और दक्षिणमें है । इतना ध्यान रखनेसे लोगोंकी कितनी ही गुत्थियाँ अपने आप सुलझ जायेंगी। हम देख चुके हैं कि साधारण सभाओं और सत्याग्रही सभाओंमें बड़ा अन्तर है । सत्याग्रह धर्मपर आधारित है, इसलिए उसमें केवल सत्य, शान्ति, गम्भीरता, धीरज, दृढ़ता, निर्भयता आदि गुणोंके ही दर्शन होने चाहिए। सत्याग्रही हड़ताल मामूली हड़तालोंसे भिन्न ही होगी। मैं उस मौकेकी चर्चा कर चुका हूँ, जब कि एक साधारण हड़तालकी घोषणा होनेपर हमें सत्याग्रही हड़ताल बन्द कर देनी पड़ी थी । साधारण आन्दोलनोंमें बड़े नारे लगाकर हम जो चीज प्राप्त करनेकी आशा रखते हैं, वह सत्याग्रह आन्दोलनमें कई बार केवल खामोश रहकर प्राप्त कर लेते हैं । सत्याग्रहमें अन्तःकरणकी शान्त, गम्भीर आवाज जितनी दूर तक सुनाई देती है, उतनी दूर तक

  1. १. देखिए "सत्याग्रह माला - ८” ।