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पत्र : जे० क्रिररको

तो केवल अहमदाबादमें की गई ऐसी कार्रवाइयोंका उल्लेख किया था । मूल भाषण गुजरातीमें[१]दिया गया था, उसके अनुवादकी भाषा यह है :

मुझे लगता है कि जो काम (अर्थात् अहमदाबादमें की गई हिंसात्मक कार्रवाइयाँ) अहमदाबादमें हुए, वे युक्तिपूर्वक हुए हैं। ऐसा मालूम होता है कि उनके पीछे कोई योजना रही है । इसलिए में निश्चित मानता हूँ कि उनमें किसी पढ़े-लिखे आदमी या आदमियोंका हाथ होना चाहिए ।

मेरा कथन इतना निश्चित और स्पष्ट है कि वह भारतके किसी अन्य भागमें की गई हिंसात्मक कार्रवाइयोंपर लागू हो ही नहीं सकता । सीधी बात तो यह है कि मैं इस सन्दर्भ में अन्य भागोंका उल्लेख ही नहीं कर सकता था, क्योंकि उस समय उनके सम्बन्धमें मेरी सारी जानकारी, मैंने अखबारोंमें इधर-उधर जो कुछ पढ़ा था, उसीपर आधारित थी, और सचाई यह है कि अभीतक उसमें कोई वृद्धि नहीं हो पाई है। दरअसल मेरा कथन वीरमगाँवपर भी लागू नहीं होता था, क्योंकि तबतक मुझे वहाँ की गई हिंसात्मक कार्रवाइयोंका भी बहुत कम ज्ञान था ।

मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
टाइम्स ऑफ इंडिया, ३०-४-१९१९

२४०. पत्र : जे० क्रिररको


बम्बई
अप्रैल २९, १९१९

प्रिय श्री क्रिरर,[२]

कदाचित् सरकार और इस नगरके अपने सहकारियोंके प्रति यह मेरा कर्त्तव्य है कि श्री हॉर्निमैन के निर्वासित कर दिये जाने तथा समाचार- नियन्त्रण-आदेशोंके परिणाम स्वरूप 'बॉम्बे क्रॉनिकल' का प्रकाशन बन्द हो जानेसे जो विषम स्थिति उत्पन्न हो गई है, उसे परमश्रेष्ठकी सेवामें प्रस्तुत कर दूँ। मेरी नम्र सम्मतिमें श्री हॉर्निमैनका निर्वासन नितान्त अनुचित और उनके निर्वासन के बाद समाचार- नियन्त्रण सम्बन्धी आदेश बिलकुल अनावश्यक है और जमानतको जब्त करके तो, मानो आग में घी ही डाल दिया गया है। यह सब तब किया जा रहा है जब सविनय अवज्ञा बिल्कुल बन्द कर दी गई है। सत्याग्रही शान्ति स्थापनाके लिए हर तरहके उपायोंका सहारा लेकर भगीरथ प्रयत्न कर रहे हैं। धृष्टता न मानें तो, कहूँ कि सत्याग्रहियोंने निरन्तर उद्योग

  1. गुजरातीसे किये गये हिन्दी अनुवादके लिए देखिए “ भाषण: अहमदाबादकी सार्वजनिक सभामें ", अप्रैल १४, १९१९ का अनुच्छेद ६ ।
  2. २. बम्बई सरकार के न्याय विभागके सचिव।