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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

न किया होता तो फौजी एहतियात के बावजूद बहुत उत्तेजनापूर्ण प्रदर्शन किये जाते । मैंने निर्वासन के सम्बन्धमें कोई प्रदर्शन न करनेकी जो सलाह दी, उसके विरुद्ध अधिकाधिक शिकायतें आती चली जा रही हैं। मैं निश्चयपूर्वक नहीं कह सकता कि सत्याग्रह - सभा पूरी तरहसे प्रदर्शन रोकने में सफल हो सकेगी या नहीं। इसलिए मेरा नम्र सुझाव है कि सरकार एक वक्तव्य निकालकर जनताको यह विश्वास दिलाये कि निर्वासनका आदेश जल्दी ही वापस ले लिया जायेगा; और समाचार-नियन्त्रण तथा जब्तीके आदेशोंके सम्बन्धमें तो मेरा निवेदन है कि उन्हें बिलकुल रद ही कर दिया जाये। मुझे मालूम हुआ है कि सरकार बम्बईमें जल्दी ही कुछ और प्रमुख सत्याग्रहियोंको गिरफ्तार करने- वाली है। मैं आशा करता हूँ कि मुझे दी गई यह जानकारी ठीक नहीं निकलेगी । आज सविनय अवज्ञा बन्द है; लेकिन अगर फिर भी और गिरफ्तारियाँ होती हैं तो सार्वजनिक दृष्टिसे यह बहुत बुरा होगा । मेरा खयाल है कि उस हालतमें, लोगोंके भीतर ही भीतर जो रोष सुलग रहा है उसे नियमित करनेके मेरे सारे प्रयत्न व्यर्थ जायेंगे; और यदि इन गिरफ्तारियोंका कोई अशोभन परिणाम हुआ तो मैं (नैतिक अथवा किसी अन्य दृष्टिसे ही ) अपने आपको या इस आन्दोलनको उसके लिए जिम्मेदार नहीं मानूँगा ।

श्रीमती नायडूको सिन्धसे एक पत्र मिला है। इसमें उन्हें वहाँकी वस्तुस्थितिकी जानकारी दी गई है। कराचीमें जो गिरफ्तारियाँ हुई हैं उनका वहाँके लोगोंके मनपर गहरा असर हुआ जान पड़ता है ।

शान्तिके हित में मेरा निवेदन है कि जबतक सविनय अवज्ञा स्थगित है, तबतक सहिष्णुतासे ही काम लिया जाय ।

हृदयसे आपका,

दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६५७४) की फोटो नकलसे ।

२४१. सत्याग्रह माला - १०

बम्बई
अप्रैल ३०, १९१९

भाइयो और बहनो,

मुझे श्री हॉर्निमैन के दो पत्र मिले हैं। मैं आशा करता हूँ कि आप सभी उनको पढ़ना चाहेंगे। एक पत्र, जो उन्होंने मुझे लिखा है, इस तरह है :

प्रियवर महात्माजी,

तो आखिर वे मुझे यहाँसे ले जा रहे हैं--बिना किसी पूर्व सूचनाके, उतावली मचाते हुए । यह पत्र तो अलविदा कहने और आपका आशिष लेनके लिए लिख रहा हूँ । भारतीयोंके लिए आप जो काम कर रहे हैं, ईश्वर उसमें आपको सफलता प्रदान करे ।