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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तो सत्याग्रहियोंका यह कर्त्तव्य हो जाता है कि वे इस प्रकार आचरण करें कि लोग सत्याग्रहके सिद्धान्तके अनुसार ही इस आन्दोलनमें भाग लें। सत्याग्रहका सबसे बड़ा सिद्धान्त यह है कि सत्यपर डटे रहें और किसीको या किसीके मालको हानि न पहुँचाई जाये । जब लोग इस सिद्धान्तको स्वीकार कर लेंगे, तब सारा संसार सत्याग्रहकी महिमाको देख सकेगा ।

मो० क० गांधी

[ गुजरातीसे ]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५

२४७. : सत्याग्रह माला १२

मई २, १९१९

सत्याग्रह पुनः कब आरम्भ होगा ?

बहुत-से लोग मुझसे पूछते हैं कि सत्याग्रह फिर कब शुरू होगा ? इसके दो उत्तर हैं। एक तो यह कि सत्याग्रह बन्द तो हुआ ही नहीं है। जबतक हम सत्यका पालन करते हैं और दूसरोंको वैसा ही करनेको कहते हैं, तबतक सत्याग्रह कभी बन्द हुआ नहीं कहलायेगा । यदि सभी सत्यका पालन करें और किसीके जान-मालका नुकसान करनेसे परहेज रखें, तो हम जो माँगते हैं, वह तुरन्त मिल जाये । परन्तु जब सभी ऐसा करनेको तैयार नहीं हैं और जब सत्याग्रही लोग मुट्ठी-भर ही हैं, तब हमें सत्याग्रहके सिद्धान्तसे फलित हो सकनेवाले दूसरे उपाय ढूंढ़ने पड़ते हैं। ऐसा एक उपाय कानूनकी 'सविनय अवज्ञा' है। मैंने यह पहले ही समझा दिया है कि हमने थोड़े समयके लिए सविनय अवज्ञा आन्दोलन क्यों स्थगित किया है। जबतक हम जानते हैं कि सविनय अवज्ञा आन्दोलनसे दंगे और हिंसाके छिड़ जानेकी बहुत सम्भावना है, बल्कि लगभग निश्चय है, तबतक कानूनका पालन न करना सविनय अवज्ञा नहीं कहला सकता । बल्कि ऐसी अवज्ञा तो विचारहीन, विनयहीन और सत्यरहित कहलायेगी । सत्याग्रही कानूनकी ऐसी अवज्ञा कभी नहीं करेगा। इतने पर भी सत्याग्रही अपना कर्त्तव्य-पालन पूरी तरह करने लगें, तो वे सविनय अवज्ञा आन्दोलन जल्दी आरम्भ करनेमें सहायक हो सकते हैं।

सत्याग्रहियोंके प्रति मेरा विश्वास मुझे यह माननेको प्रेरित करता है कि हम लगभग दो महीनेमें सविनय अवज्ञा आन्दोलन फिर आरम्भ करनेके योग्य हो जायेंगे । अर्थात् यदि इस बीच रौलट कानून रद न हुआ, तो हम जुलाईके आरम्भमें कानूनकी सविनय अवज्ञा शुरू कर देंगे। फिलहाल यह मीयाद तय करनेमें मैं नीचे लिखे कारणोंसे प्रेरित हुआ हूँ : एक तो यह है कि इस अवधिमें हम अपना यह सन्देश देश-भरमें फैला चुकेंगे कि जबतक सविनय अवज्ञा स्थगित है, तबतक कोई भी मनुष्य सत्याग्रहकी आड़में या सत्याग्रही हायता करने के बहाने दंगा या मारकाट न करे। आशा रखी