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पत्र : जे० एम० विल्सनको

और हिंसाका त्याग करना । वास्तवमें देखा जाये, तो रौलट कानून पास करनेकी भूल अंग्रेज-जातिकी भूल नहीं है और न भारतमें रहनेवाले अंग्रेजोंकी है। वह तो केवल सत्ताधारियोंकी भूल है। जनताके नामपर जो काम किये जाते हैं उनका पता अक्सर जनताको होता ही नहीं। फिर सत्ताधारी भी जानबूझकर भूलें नहीं करते। वे तो जो उन्हें सही जँचे, सो करते हैं। परन्तु इससे लोगोंकी कुछ कम हानि नहीं होती। इसलिए हमें सत्ताधारियोंके प्रति जरा भी द्वेष नहीं रखना चाहिए, लेकिन साथ ही उनसे हुई भूलें सुधरवानेके कारगर उपाय करनेमें जरा भी कचाई नहीं रखनी चाहिए। उनकी भूलको भूल ही मानना चाहिए, इससे ज्यादा कुछ नहीं। ऐसा करके हम हिंसाका त्याग करेंगे और अपने कष्ट सहनसे ये कानून रद्द करायेंगे ।

मो० क० गांधी

[ गुजरातीसे ]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५

२४९. पत्र : जे० एम० विल्सनको

मई ३, १९१९

बिहार बागान-मालिक संघ [प्लांटर्स एसोसिएशन ने सरकारको जो ज्ञापन[१] दिया है, उसे मैंने पढ़ लिया है। आपके संघने अपने और मेरे, दोनों के प्रति घोर अन्याय किया है। किन्तु मैं आपके संघके आरोपका उत्तर नहीं देना चाहता । समय मेरे पक्षमें है और वह आपको बतायेगा कि आपने जल्दी में जो मत व्यक्त किया है, वह गलत है।

मो० क० गांधी

अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ६५७८) की फोटो-नकलसे ।

  1. १. अप्रैल २६, १९१९ को बिहार बागान-मालिक संघके मन्त्री जे० एम० विल्सनको ओरसे भारत सरकारके गृह-विभागके सचिवको भेजा गया ज्ञापन (एस० एन० ६५७८), जिसमें गांधीजीकी कार्रवाइयोंकी आलोचना की गई थी ।