२५२. पत्र : मौलाना अब्दुल बारीको
[ बम्बई
मई ४, १९१९]
मेरा खयाल है कि इस्लामी सवालोंपर मुस्लिम मत अच्छी तरह संगठित नहीं है। हर एककी भावना तो अत्यन्त तीव्र है, पर कोई तर्कपूर्ण और सर्वसम्मत वक्तव्य नहीं देता। मैं चाहता हूँ कि उलेमाओंकी ओरसे कोई वक्तव्य निकले। वह उर्दू या अरबी भाषामें हो, तो कोई हर्ज नहीं। उसका सही अनुवाद आसानीसे हो सकता है। दोनों जातियोंके बीचके झगड़ोंके कारणोंकी जाँच करने और दोनोंके बीच स्थायी एकता स्थापित करनेके उपाय सुझानेके लिए हिन्दू-मुसलमानोंका एक मिला-जुला आयोग मुकर्रर करनेका आपका विचार मुझे बहुत पसन्द है। किन्तु मेरा खयाल है कि उसके लिए यह ठीक अवसर नहीं है। अभी तो सबकी शक्ति रौलट कानून, इस्लामी प्रश्नों और राजनैतिक सुधारोंपर केन्द्रित हो गई है और यही ठीक है। सारे हिन्दुस्तानके लिए सन्तोषप्रद ढंगसे इन प्रश्नोंका निपटारा करानेकी क्रियामें ही हम सबका नजदीक आना सम्भव है । इन सवालोंका फैसला हो जाने के बाद आपका सुझाया हुआ आयोग ज्यादा कारगर हो सकेगा।
हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी
- महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।
- सौजन्य : नारायण देसाई
२५३. सत्याग्रह माला-१५
मई ५, १९१९
- अगले रविवारको सत्याग्रह-हड़ताल
- प्रत्येक परिवारमें २४ घंटेका उपवास तथा धार्मिक प्रार्थना
बम्बईने श्री हॉर्निमैनका वियोग बड़ी शान्तिसे सहन किया है। असह्य परिस्थितिमें भी बम्बईने इतने लम्बे समय तक शान्ति रखी है, इससे उसकी आत्मसंयमकी शक्ति प्रमाणित होती है। परन्तु सत्याग्रह-सभाकी बैठकोंमें हुई चर्चासे और लोगोंमें होनेवाली चर्चाओंके जो विवरण आते हैं, उनसे मालूम होता है कि लोगोंके हृदय शान्त नहीं